24 अगस्त 2012

एक भारतीय सैनिक का सियाचिन से माँ को लिखा हुआ खत-..........

समय निकाल कर एक बार इस ख़त को जरुर पढ़ें ...
एक भारतीय सैनिक का सियाचिन से माँ को लिखा हुआ खत-

प्रणाम माँ,

माँ बचपन में मैं जब भी रोते रोते सो जाया करता था, तो तू चुपके से मेरे
सिरहाने खिलोने रख दिया करती थी, और कहती थी की ऊपर से एक परी ने आके रखा है,
और कह गई है की अगर मैं फिर कभी रोया तो और खिलोने नहीं देगी !
लेकिन इस मरते हुए देश का सैनिक बनके रो तो मैं आज भी रहा हूँ,
पर अब ना तू आती है और ना तेरी परी ! परी क्या .. 
यहाँ ढाई हजार मीटर ऊपर तो परिंदा भी नहीं मिलता !
मात्र 14 हज़ार रुपए के लिए मुझे कड़े अनुशासन में रखा जाता है, लेकिन वो
अनुशासन ना इन भ्रष्ट नेताओं के लिए है और ना इन मनमौजी देशवासियों के
लिए !
रात भर जगते तो हम भी हैं लेकिन अपनी देश की सुरक्षा के लिए,

लेकिन वो जगते हैं लेट नाईट पार्टी के लिए !

हम इस -12 डिग्री में आग जला के अपने आप को गरम करते हैं,

लेकिन हमारे देश के नेता हमारे ही पोशाकों, कवच, बन्दूकों, गोलियों और जहाजों में
घोटाले करके अपनी जेबे गरम करते हैं !

आतंकियों से मुठभेड़ में मरे हुए सैनिकों की संख्या को,

न्यूज़ चैनल में नहीं दिखाया जाता लेकिन,
सचिन के शतक से पहले आउट हो जाने को देश के राष्ट्रिय
शोक की तरह दिखाया जाता है !

हर चार-पाँच सालों ने हमें एक जगह से दूसरी जगह उठा के फेंक दिया जाता है,
लेकिन यह नेता लाख चोरी करलें,

बार बार उसी विधानसभा - संसद में पहुंचा
दिए जाते हैं !
मैं किसी आतंकी को मार दूँ तो पूरी राजनितिक पार्टियां वोट के लिए,

उसे बेकसूर बना के मुझे कसूरवार बनाने में लग जाती हैं,
वो आये दिन अपने अपने भ्रष्टाचारो से देश को आये दिन मारते हैं,
कितने ही लोग भूखे मरते हैं, कितने ही किसान आत्महत्या करते हैं,
कितने ही बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं,
लेकिन उसके लिए इन नेताओं को जिम्मेवार नहीं ठहराया जाता !
नीचे अल्पसंख्यको के नाम पर आरक्षण बाँटा जा रहा है,

लेकिन आज तक मरे हुए शहीद सैनिकों की संख्या के आधार पर,
कभी किसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया.
मैं दुखी हूँ इस मरे हुए संवेदनहीन देश का सैनिक बनके ! 

यह हमें केवल याद करते हैं 26 जनवरी को और 15 अगस्त को !
बाकी दिन तो इनको शाहरुख़, सलमान, सचिन, युवराज की फ़िक्र रहती है !
हमारी हालत ठीक वैसे ही उस पागल किसान की तरह है,

जो अपने मरे हुए बेल पर भी कम्बल डाल के खुद ठंड में ठिठुरता रहता है !
मैंने गलती की इस देश का रक्षक बनके !
तू भगवान् के ज्यादा करीब है तो उनसे कह देना की,

अगले जन्म में मुझे अगर इस देश में पैदा करे तो,
सेनिक ना बनाए और अगर सैनिक बनाए तो इस देश में पैदा ना करे !
यहाँ केवल परिवार वाद चलता है, 

अभिनेता का बेटा जबरदस्ती अभिनेता बनता है
और नेता का बेटा जबरदस्ती नेता !
प्रणाम-
लखन सिंह (मरे हुए देश का जिन्दा सेनिक)
भारतीय सैनिक-सियाचिन, 

18 ग्रेनेडियर बटालियन, हाल पोस्ट-सियाचिन सेक्टर,

23 अगस्त 2012

''खलनायक'' से नायक अभिनेता संजय दत्त फिर फंसते नजर आ रहे हें.......


Uphold Sanjay Dutt's conviction in '93 Mumbai blasts: CBI to SC
सुनील दत्त के पुत्र ओ नर्गिस दत्त केंसर फौन्डेशन चलाने वाले मशहूर फिल्म अभिनेता संजय दत्त के लिए सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट से मुंबई हाई कोर्ट द्वारा संजय दत्त को आ‌र्म्स एक्ट के तहत दी गई छह साल की सजा को बरकरार रखने का अनुरोध किया है। (ज्ञात रहे संजय के पिता सुनील दत्त कांग्रेस सरकार में खेल मंत्री थे, और  मंत्रालय के किसी मामले को लेकर उनकी सोनिया से भारी अनबन थी.)
बाबरी मस्जिद कांड के बाद 1993 में मुंबई बम धमाकों से पूरे देश हिल उठा था। इसमें 257 लोगों की मौत हुई थी और 713 लोग घायल हुए थे। घटना में संजय दत्त का नाम भी आरोपियों में शामिल किया गया था। इस दौरान संजय दत्त के घर में ली गई तलाशी के दौरान पुलिस को एक पिस्टल व एके-56 रायफल की स्प्रिंग भी बरामद हुई थी। इस प्रकरण में 2006 में टाडा की विशेष अदालत में हुई सुनवाई में संजय दत्त को अवैध हथियार रखने के मामले में छह साल के कारावास की सजा सुनाई थी। 2007 में संजय दत्त ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए बेल के लिए प्रार्थना पत्र लगाया। अदालत ने संजय दत्त के प्रार्थनापत्र का संज्ञान लेते हुए उन्हें बेल दे दी थी। तब संजय दत्त 18 माह जेल में गुजारने के बाद बाहर आए थे। अब इस मामले में सीबीआइ ने फिर से संजय दत्त पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है। हालांकि बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि सीबीआई ने संजय दत्त के घर की तलाशी के दौरान जिस 18 इंच के स्प्रिंग के बरामद होने का जिक्र किया था, वह कोर्ट में पेश ही नहीं की गई। इसके स्थान पर 16 इंच की स्प्रिंग रखी गई है। जबकि वास्तविकता यह है कि 18 इंच की स्प्रिंग का एके-56 रायफल में इस्तेमाल होता ही नहीं है। ऐसे में सीबीआइ खुद ही अपने साक्ष्यों के साथ छेड़खानी कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त से उसके अंडरव‌र्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के साथ रिश्तों को लेकर सवाल किए थे। और संजय दत्त के वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल ने दो फिल्म निर्माताओं के साथ दुबई में दाउद के साथ डिनर किया था, लेकिन यह घटना भी मुंबई बम धमाकों से पहले की है।

22 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART- 8............


साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -8


*Indian Penal Code* - अंग्रेजों ने एक कानून हमारे देश में लागू किया था जिसका नाम है Indian Penal Code (IPC ). ये Indian Penal Code अंग्रेजों के एक और गुलाम देश Ireland के Irish Penal Code की फोटोकॉपी है, वहां भी ये IPC ही है लेकिन Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वहीं भारत में इस "I" का मतलब Indian है, इन दोनों IPC में बस इतना ही अंतर है बाकि कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है। अंग्रेजों का एक अधिकारी था वी.मैकोले, उसका कहना था कि भारत को हमेशा के लिए गुलाम बनाना है तो इसके शिक्षा तंत्र और न्याय व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करना होगा और आपने Indian Education Act पढ़ा होगा, वो भी मैकोले ने ही बनाया था, और उसी मैकोले ने इस IPC की भी ड्राफ्टिंग की थी। ये बनी 1840 में और भारत में लागू हुई 1860 में। ड्राफ्टिंग करते समय मैकोले ने एक पत्र भेजा था ब्रिटिश संसद को जिसमे उसने लिखा था कि "मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है, जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा। इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा और जिन भारतीयों के लिए ये कानून बनाया गया है उन्हें ही ये सबसे ज्यादा तकलीफ देगी। और भारत की जो प्राचीन और परंपरागत न्याय व्यवस्था है उसे जडमूल से समाप्त कर देगा और वो आगे लिखता है कि "जब भारत के लोगों को न्याय नहीं मिलेगा, तभी हमारा राज मजबूती से भारत पर स्थापित होगा।" ये हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के इसी IPC के आधार पर चल रही है और आजादी के 64 साल बाद हमारी न्याय व्यवस्था का हाल देखिये कि लगभग 4 करोड़ मुक़दमे अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग हैं, उनके फैसले नहीं हो पा रहे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन न्याय मिलने की दूर-दूर तक सम्भावना नजर नहीं आ रही है, कारण क्या है ? कारण यही IPC है। IPC का आधार ही ऐसा है।

PART -5 http://oneindian009.blogspot.in/2012/08/part-5.html
PART -6 http://oneindian009.blogspot.in/2012/08/part-6.html
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19 अगस्त 2012

असली ''टाइगर'' को जरूर याद कर लेँ.........


"एक था टाइगर" सलमान खान अभिनीत ये फिल्म 15 अगस्त को भारत भर मेँ रिलीज की गयी हें , अगर आपने भी इस फिल्म को देखने का प्लान बनाया है तो पहले आपको ये पोस्ट
पढ़नी चाहिये -
फोटो मेँ दिखाया गया ये शख्स सलमान खान की तरह बहुत मशहूर तो नहीँ है, और शायद ही कोई इनके बारे मेँ जानता हो या किसी से सुना हो -

इनका नाम था रवीन्द्र कौशिक ये भारत की जासूसी संस्था RAW के भूतपूर्व एजेन्ट थे, राजस्थान के श्रीगंगानगर मेँ पले बढ़े रवीन्द्र ने 23 साल की उम्र मेँ ग्रेजुएशन करने के बाद RAW ज्वाइन की थी, तब तक  भारत पाकिस्तान और चीन के साथ एक-एक लड़ाई लड़ चुका था, और पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक और युद्ध की तैयारी कर रहा था। जब भारतीय सेना को इसकी भनक लगी, उसने RAW के जरिये रवीन्द्र कौशिक को भारतीय जासूस बनाकर पाकिस्तान भेजा, रवीन्द्र ने नाम बदलकर यहाँ के एक कालेज मेँ दाखिला लिया। यहाँ से वो कानून की पढ़ाई मेँ एक बार फिर ग्रेजुएट हुए, और उर्दू सीखी और बाद में पाकिस्तानी सेना मेँ जासूसी के लिये भर्ती हो गये। कमाल की बात है की पाकिस्तान को कानोँ कान खबर नहीँ हुई कि उसकी सेना मेँ भारत का एक एजेँट है ! रवीन्द्र ने 30 साल अपने घर से दूर रहकर देश की खातिर खतरनाक परिस्थितियोँ के बीच पाकिस्तानी सेना मेँ बिताए ! इसकी बताई जानकारियोँ के बलबूते पर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर रणनीति तैयार की ! पाकिस्तान तो भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध से काफी पहले ही युद्ध छेड़ देता, पर रवीन्द्र के रहते ये संभव ना हो पाया। केवल एक आदमी ने पाकिस्तान को खोखला कर दिया था ! भारतीय सेना को रवीन्द्र के जरिये रणनीति बनाने का पूरा मौका मिला, और पाकिस्तान जिसने कई बार राजस्थान से सटी सीमा पर युद्ध छेड़ने का प्रयास किया, उसे मुँह की खानी पड़ी ! ये बात बहुत कम लोगोँ को पता है कि पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाईयोँ का असली हीरो रवीन्द्र कौशिक है। रवीन्द्र के बताये अनुसार भारतीय सेना के जवानोँ ने अपने अतुल्य साहस का प्रदर्शन करते हुये पहलगाम मेँ घुसपैठ कर चुके 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकोँ को मार गिराया, पर दुर्भाग्य से रवीन्द्र का राज पाकिस्तानी सेना के सामने खुल गया, रवीन्द्र ने किसी तरह भागकर खुद को बचाने के लिये भारत सरकार से अपील की, पर सच्चाई सामने आने के बाद तत्कालीन इंदिरा गाँधी सरकार ने उसे भारत वापिस लाने मेँ कोई रुचि नहीँ दिखाई ! अततः उसे पाकिस्तान मेँ ही पकड़ लिया गया और जेल मेँ डाल दिया उस पर तमाम तरह के मुकदमेँ चलाये गये, उसको टार्चर किया गया कि वो भारतीय सेना की गुप्त जानकारियाँ बता दे, उसे छोड़ देने का लालच भी दिया गया पर उसने मुँह नहीँ खोला, और बाद मे जेल मे ही उसकी मौत हो गयी...
ये सिला मिला रवीन्द्र कौशिक को 30 साल की देशभक्ति का , भारत सरकार ने भारत मेँ मौजूद रवीन्द्र से संबंधित सभी रिकार्ड मिटा दिये और RAW को धमकी दी कि, अपना रवीन्द्र के मामले मे अपना मुँह बंद रखे, उसके परिवार को हाशिये मेँ ढकेल दिया गया, और भारत का ये सच्चा सपूत गुमनामी के अंधेरे मेँ खो गया। एक था टाइगर नाम की ये फिल्म रवीन्द्र कौशिक के जीवन पर ही आधारित है, जब इस फिल्म का निर्माण हो रहा था, तो भारत सरकार के भारी दखल के बाद इसकी स्क्रिप्ट मेँ फेर बदल करके इसकी कहानी मे बदलाव किया गया पर मूल कथा वही है ! इस देशभक्त को गुमनाम ना होने देँ शेयर एवं टैग करेँ इस पोस्ट को और ज्यादा से ज्यादा लोगोँ को बतायेँ और हाँ जब भी ये फिल्म देखने जायेँ तब इस असली टाइगर को जरूर याद कर लेँ।

16 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -7


साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ?

*Indian Forest Act* - 1865 में Indian Forest Act बनाया गया और ये लागू हुआ 1872 में। इस कानून के बनने के पहले जंगल गाँव की सम्पति माने जाते थे, और गाँव के लोगों की सामूहिक हिस्सेदारी होती थी इन जंगलों में, वो ही इसकी देखभाल किया करते थे, इनके संरक्षण के लिए हर तरह का उपाय करते थे, नए पेड़ लगाते थे, और इन्ही जंगलों से जलावन की लकड़ी इस्तेमाल कर के वो खाना बनाते थे। अंग्रेजों ने इस कानून को लागू कर के जंगल के लकड़ी के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया। साधारण आदमी अपने घर का खाना बनाने के लिए लकड़ी नहीं काट सकता, और अगर काटे तो वो अपराध है और उसे जेल हो जाएगी, अंग्रेजों ने इस कानून में ये प्रावधान किया कि भारत का कोई भी आदिवासी या दूसरा कोई भी नागरिक पेड़ नहीं काट सकता, और आम लोगों को लकड़ी काटने से रोकने के लिए उन्होंने एक पोस्ट बनाया District Forest Officer जो उन लोगों को तत्काल सजा दे सके, उस पर केस करे, उसको मारे-पीटे। लेकिन दूसरी तरफ जंगलों के लकड़ी की कटाई के लिए ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी, जो आज भी लागू है और कोई ठेकेदार जंगल के जंगल साफ़ कर दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता। अंग्रेजों द्वारा नियुक्त ठेकेदार जब चाहे, जितनी चाहे लकड़ी काट सकते हैं। हमारे देश में एक अमेरिकी कंपनी है जो वर्षों से ये काम कर रही है, उसका नाम है ITC पूरा नाम है Indian Tobacco Company इसका असली नाम है American Tobacco Company, और ये कंपनी हर साल 200 अरब सिगरेट बनाती है और इसके लिए 14 करोड़ पेड़ हर साल काटती है। इस कंपनी के किसी अधिकारी या कर्मचारी को आज तक जेल की सजा नहीं हुई, क्योंकि ये इंडियन फोरेस्ट एक्ट ऐसा है जिसमे सरकार के द्वारा अधिकृत ठेकेदार तो पेड़ काट सकते हैं, लेकिन आप और हम चूल्हा जलाने के लिए, रोटी बनाने के लिए लकड़ी नहीं ले सकते और उससे भी ज्यादा ख़राब स्थिति अब हो गयी है, आप अपने जमीन पर के पेड़ भी नहीं काट सकते। तो कानून ऐसे बने हुए हैं कि साधारण आदमी को आप जितनी प्रताड़ना दे सकते हैं, दुःख दे सकते है, पर विशेष आदमी को आप छू भीं नहीं सकते और जंगलों की कटाई से देश को घाटा ये हुआ कि मिटटी बह-बह के नदियों में आ गयी और नदियों की गहराई को इसने कम कर दिया और बाढ़ का प्रकोप बढ़ता गया। अगले पोस्ट में नया कानून.......... 

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? ALL - PART


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PART -6 http://oneindian009.blogspot.in/2012/08/part-6.html

15 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -6..........

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -6

* Indian Income Tax Act* - इस एक्ट पर जब ब्रिटिश संसद में चर्चा हो रही थी तो एक सदस्य ने कहा कि "ये तो बड़ा confusing है, कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है", तो दुसरे ने कहा कि हाँ इसे जानबूझ कर ऐसा रखा गया है ताकि जब भी भारत के लोगों को कोई दिक्कत हो तो वो हमसे ही संपर्क करें। आज भी भारत के आम आदमी को छोडिये, इनकम टैक्स के वकील भी इसके नियमों को लेकर दुविधा की स्थिति में रहते हैं और इनकम टैक्स की दर रखी गयी 97% यानि 100 रुपया कमाओ तो 97 रुपया टैक्स में दे दो और उसी समय ब्रिटेन से आने वाले सामानों पर हर तरीके के टैक्स की छुट दी जाती है ताकि ब्रिटेन के माल इस देश के गाँव-गाँव में पहुँच सके और इसी चर्चा में एक सांसद कहता है कि "हमारे तो दोनों हाथों में लड्डू है, अगर भारत के लोग इतना टैक्स देते हैं तो वो बर्बाद हो जायेंगे या टैक्स की चोरी करते हैं तो बेईमान हो जायेंगे और अगर बेईमान हो गए तो हमारी गुलामी में आ जायेंगे और अगर बरबाद हुए तो हमारी गुलामी में आने ही वाले है।" तो ध्यान दीजिये कि इस देश में टैक्स का कानून क्यों लाया जा रहा है ? क्योंकि इस देश के व्यापारियों को, पूंजीपतियों को, उत्पादकों को, उद्योगपतियों को, काम करने वालों को या तो बेईमान बनाया जाये या फिर बर्बाद कर दिया जाये, ईमानदारी से काम करें तो ख़त्म हो जाएँ और अगर बेईमानी करें तो हमेशा ब्रिटिश सरकार के अधीन रहें। अंग्रेजों ने इनकम टैक्स की दर रखी थी 97% और इस व्यवस्था को 1947 में ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आपको जान के ये आश्चर्य होगा कि 1970-71 तक इस देश में इनकम टैक्स की दर 97% ही हुआ करती थी। इसी देश में भगवान श्रीराम जब अपने भाई भरत से संवाद कर रहे हैं तो उनसे कह रहे है कि प्रजा पर ज्यादा टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए और चाणक्य ने भी कहा है कि टैक्स ज्यादा नहीं होना चाहिए नहीं तो प्रजा हमेशा गरीब रहेगी, अगर सरकार की आमदनी बढ़ानी है तो लोगों का उत्पादन और व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करो। अंग्रेजों ने तो 23 प्रकार के टैक्स लगाये थे उस समय इस देश को लुटने के लिए, अब तो इस देश में VAT को मिला के 64 प्रकार के टैक्स हो गए हैं। महात्मा गाँधी के देश में नमक पर भी टैक्स हो गया है और नमक भी विदेशी कंपनियां बेंच रही हैं, आज अगर गाँधी जी की आत्मा स्वर्ग से ये देखती होगी तो आठ-आठ आंसू रोती होगी कि जिस देश में मैंने नमक सत्याग्रह किया कि विदेशी कंपनी का नमक न खाया जाये आज उस देश में लोग विदेश कंपनी का नमक खरीद रहे हैं और नमक पर टैक्स लगाया जा रहा है। शायद हमको मालूम नहीं है कि हम कितना बड़ा National Crime कर रहे हैं।,.......जारी अगले पोस्ट में .......

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? ALL - PART

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14 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -5 ............


साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ...... CONTINUE......... 

* Indian Civil Services Act* - 1860 में ही इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट बनाया गया। ये जो Collector हैं वो इसी कानून की देन हैं। भारत के Civil Servant जो हैं उन्हें Constitutional Protection है, क्योंकि जब ये कानून बना था उस समय सारे ICS अधिकारी अंग्रेज थे और उन्होंने अपने बचाव के लिए ऐसा कानून बनाया था, ऐसा विश्व के किसी देश में नहीं है, और वो कानून चूंकि आज भी लागू है इसलिए भारत के IAS अधिकारी सबसे निरंकुश हैं। अभी आपने CVC थॉमस का मामला देखा होगा। इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता और इन अधिकारियों का हर तीन साल पर तबादला हो जाता था क्योंकि अंग्रेजों को ये डर था कि अगर ज्यादा दिन तक कोई अधिकारी एक जगह रह गया तो उसके स्थानीय लोगों से अच्छे सम्बन्ध हो जायेंगे और वो ड्यूटी उतनी तत्परता से नहीं कर पायेगा या उसके काम काज में ढीलापन आ जायेगा और वो ट्रान्सफर और पोस्टिंग का सिलसिला आज भी वैसे ही जारी है और हमारे यहाँ के कलक्टरों की जिंदगी इसी में कट जाती है। ये जो Collector होते थे उनका काम था Revenue, Tax, लगान और लुट के माल को Collect करना इसीलिए ये Collector कहलाये और जो Commissioner होते थे वो commission पर काम करते थे उनकी कोई तनख्वाह तय नहीं होती थी और वो जो लुटते थे उसी के आधार पर उनका कमीशन होता था। ये मजाक की बात या बनावटी कहानी नहीं है ये सच्चाई है इसलिए ये दोनों पदाधिकारी जम के लूटपाट और अत्याचार मचाते थे उस समय। अब इस कानून का नाम Indian Civil Services Act से बदल कर Indian Civil Administrative Act हो गया है, 64 सालों में बस इतना ही बदलाव हुआ है।

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? ALL - PART

9 अगस्त 2012

मुग़ल कालीन किले जैसा है ''कांडा'' का आवास,................


house like fort जूतों की दुकान से एमडीएलआर एयरलाइंस के मालिक बनने का सफर तय करने वाले हरियाणा के पूर्व गृह राज्यमंत्री गोपाल काडा की तरक्की की दास्तां ख्वाब सरीखी है। एक साल के भीतर ही कई अरब रुपये के ऐसे पांच प्रोजेक्ट बनाए गए हैं, जिन्हे अंजाम तक पहुंचाने का बूता सिर्फ किसी धन-कुबेर में ही हो सकता है। ढाई एकड़ में बना कांडा महल मुगलकालीन किले सरीखा है। पत्थरों के महल के करीब 25 फुट ऊंचे मुख्य द्वार की कीमत ही लाखों में बताई जा रही है।
तीन-चार साल से बन रहा महल पिछले साल बनकर तैयार हुआ। गृह प्रवेश गत दिसंबर में हुआ था। महल के भीतर हेलीपैड के अलावा अत्याधुनिक जिम, लॉन टेनिस ग्राउड और अस्तबल आदि है। काडा महल के फर्नीचर के बारे में शहर में आम चर्चा है कि इन पर महगी धातु जड़ी गई है। गीतिका शर्मा खुदकुशी मामले में कांडा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कई प्रोजेक्ट का काम रुक गया है। इसमें मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल और सात मंजिला थ्री स्टार होटल शामिल है।

भारत ने किया अग्नि 2 का एक और सफल परीक्षण


agni 2 test fired succesfullyओड़िशा के व्हीलर द्वीप से गुरुवार सुबह 8.45 मिनट पर अग्नि 2 की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया गया। मध्यम दूरी की इस मिसाइल कि रेंज 2000 किमी है। जमीन से जमीन पर वार करने वाली यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है। इस टू स्टेज मिसाइल में मार्गदर्शन के लिए अत्याधुनिक यंत्र लगाए गए हैं, यहीं नहीं मिसाइल में दिशा नियंत्रण करने के लिए भी कई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] ने मिसाइल का प्रक्षेपण किया है। गौरतलब है कि डीआरडीओ ने वर्ष 1999 में पहली बार इसका प्रक्षेपण किया था उसके बाद कई बार मिसाइल का प्रक्षेपण किया जा चुका है।

7 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -4

Indian Police Act* - 1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया। 1857 के पहले अंग्रेजों की कोई पुलिस नहीं थी इस देश में | 
लेकिन 1857 में जो विद्रोह हुआ, उससे डरकर उन्होंने ये कानून बनाया ताकि ऐसे किसी विद्रोह/क्रांति को दबाया जा सके। अंग्रेजों ने इसे बनाया था भारतीयों का दमन और अत्याचार करने के लिए। उस पुलिस को विशेष अधिकार दिया गया। पुलिस को एक डंडा थमा दिया गया और ये अधिकार दे दिया गया कि अगर कहीं 5 से ज्यादा लोग हों तो वो डंडा चला सकता है, यानि लाठी चार्ज कर सकता है और वो भी बिना पूछे और बिना बताये, और पुलिस को तो Right to Offence है लेकिन आम आदमी को Right to Defense नहीं है। आपने अपने बचाव के लिए उसके डंडे को पकड़ा तो भी आपको सजा हो सकती है, क्योंकि आपने उसके ड्यूटी को पूरा करने में व्यवधान पहुँचाया है और आप उसका कुछ नहीं कर सकते।
 इसी कानून का फायदा उठाकर "लाला लाजपत राय" पर लाठियां चलायी गयी थी, और लाला जी की मृत्यु हो गयी थी और लाठी चलाने वाले सांडर्स का क्या हुआ था ? कुछ नहीं, क्योंकि वो अपनी ड्यूटी कर रहा था और जब सांडर्स को कोई सजा नहीं हुई तो लालाजी के मौत का बदला भगत सिंह ने सांडर्स को गोली मारकर लिया था। वही दमन और अत्याचार वाला कानून "इंडियन पुलिस एक्ट" आज भी इस देश में बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले चल रहा है, और बेचारे पुलिस की हालत देखिये कि ये 24 घंटे के कर्मचारी हैं उतने ही तनख्वाह में, तनख्वाह मिलती है 8 घंटे की, और ड्यूटी रहती है 24 घंटे की और जेल मैनुअल के अनुसार आपको पुरे कपडे उतारने पड़ेंगे आपकी बॉडी मार्क दिखाने के लिए, भले ही आपका बॉडी मार्क आपके चेहरे पर क्यों न हो। और जेल के कैदियों को अल्युमिनियम के बर्तन में खाना दिया जाता था, ताकि वो जल्दी मरे, वो अल्युमिनियम के बर्तन में खाना देना आज भी जारी हैं हमारे जेलों में, क्योंकि वो अंग्रेजों के इस कानून में है। जारी .......

6 अगस्त 2012

दो सर वाले बच्चे का जन्म, too head child born in India.........


new born has one neck and two facesकुदरत के करिश्मे का एक जीता-जागता नमूना शनिवार को जोनपुर जिले के आशीर्वाद हॉस्पिटल में दिखा। यहा शिवापार निवासी तिलकधारी यादव की पत्नी किरन यादव ने एक ऐसी बच्ची को जन्म दिया जिसका धड़ तो एक है लेकिन चेहरे दो। वह भी पूर्ण विकसित। वह दोनों चेहरों से रो रही है और दूध भी पी ले रही है। इस तरह की अद्भुत बच्ची भले ही चिकित्सकों समेत सभी के लिए पहेली बनी है। लेकिन, परिजन खासे परेशान हैं। उन गरीब लोगों के लिए तो यह कुदरत का मजाक बनकर रह गया है।
ऑपरेशन के जरिए बच्ची को सकुशल पैदा कराने में सफल अस्पताल की डॉ. अंजू ने कहा कि कंजनाइटर एबनॉर्मिलिटी के चलते एक लाख में ऐसा एक केस सामने आता है। इसमें हार्मोस के कारण बच्चे का विकास असामान्य ढंग से होता है। नवजात बच्ची के भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि यदि इसका समुचित ढंग से विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में इलाज हो तो ऑपरेशन से बच्ची को स्वस्थ किया जा सकता है। बहरहाल कुदरत का यह करिश्मा चर्चाओं में है।

3 अगस्त 2012

चीन ने मुस्लिमो के रोजा रखने पर रोक लगायी, ''शिनजियांग'' में रोजा नहीं रखने का आदेश...........


Roja ban in  Xinjiang localitiesचीन ने उत्तर पश्चिमी शिनजियांग स्वायत्तशासी क्षेत्र में रमजान के दौरान मुस्लिम अधिकारियों और छात्रों के रोजा रखने पर पाबंदी लगा दी है। नए दिशा निर्देश कई सरकारी वेबसाइटों पर जारी किए गए हैं। इसमें कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से रमजान के पवित्र महीने के दौरान मुसलमानों के रोजा रखने और मस्जिद जाने पर रोक लगाने के लिए कहा गया है। शिनजियांग में करीब 90 लाख ''उइगुर'' लोग रहते हैं। तुर्की भाषा बोलने वाले ये लोग मुख्य रूप से इस्लाम धर्म मानते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के ये लोग चीन के नेताओं पर धार्मिक और राजनीतिक उत्पीड़न के आरोप लगाते रहे हैं। चीन इन आरोपों से इन्कार करता रहा है। शिनजियांग में अक्सर जातीयहिंसा भड़कती रहती है। चीन की सरकार हजारों उइगुर अधिकारियों की मदद से प्रांत का शासन चलाती है।
शिनजियांग की सरकारी वेबसाइट पर पार्टी नेताओं से गांव के स्थानीय नेताओं के लिए खाना ले जाने के लिए कहा गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग रमजान के दौरान रोजा नहीं रख रहे हैं और खाना खा रहे हैं। रमजान में धार्मिक गतिविधियों को रोकने के आदेश स्थानीय प्रशासन की वेबसाइटों पर भी जारी किए गए हैं। स्कूल और कॉलेज प्रशासन से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि रमजान के दौरान छात्र मस्जिद न जाएं ।

25 जुलाई 2012

1947 में हमें आजादी मिली थी या गुलामी ? देश की सरकार के सबसे रोचक जवाब,


सरकार के बारे में कुछ समाचार जो विचलित कर डालते है और हमें ये सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि,
 1947 में हमें आजादी मिली थी या गुलामी ??
1) विदेशों में काला धन जमा करने वालो के नाम नहीं बताएँगे - ये कहा देश के वित्त मंत्री ने और उसी ने  (काला धन वापस लाने की मांग करने वाले औरतों बच्चों पर किया आधी रात को लाठी चार्ज !)
2) महंगाई के लिए गरीब जिम्मेदार ! - देश के प्रधानमंत्री का बयान....
3) देश में गरीबी घटी है - ऐसे हें सरकारी आंकड़े !
4) सुप्रीम कोर्ट चैम्बर में महिला वकील को standing कमिटी के चेयरमैन वासना पूर्ति के लिए इस्तेमाल करते हैं, बदले में है जज बनाने का ऑफर !
5) भारत भ्रष्टाचार में विश्व के 4 प्रमुख अग्रणी देशों में, प्रधानमंत्री का कहना आंकड़े गलत ? शायद पहले नंबर पर ? 
6) दुनिया में सबसे ज्यादा कुपोषण के शिकार बच्चे भारत में !
7) भारतीय अर्थव्यवस्था कर्ज के बोझ तले दबी,  भी विकास जारी ?
8) और सबसे रोचक खबर, 28 रुपये रोज कमाने वाला गरीब नहीं ? और दूसरी तरफ लाखो  कर सिर्फ बनाया अपने लिए टॉयलेट ? - देश का योजना आयोग


इन सबके साथ बस एक ही अच्छी खबर...... सोनिया गाँधी विश्व की चौथी........ सबसे अमीर राजनेता ! जिसकी कॉलेज फ़ीस 1980 में किसी अमीर अमेरिकी दया कर के जमा कराई थी,
जिम्मेदार आप और मुझ जेसे लोग जो आँख मूंद कर ''पार्टी'' को वोट देंगे, लेकिन एक सही ईमानदार को वोट देकर नही चुनेंगे....खामियाजा भी हम ही भुगत रहे हें और भुगतेंगे.......... 


3 जुलाई 2012

स्विट्जरलैंड के बेंको ने ग्राहकों को लुभाने की नई तरकीब ईजाद कर ली.................


स्विट्जरलैंड के बैंक खातों पर सभी देशों की खुफिया एजेंसियों की नजर लगने के बाद उसने अपने ग्राहकों को लुभाने की नई तरकीब ईजाद कर ली है। अब वह उन्हें ऐसी तिजोरियां [सेफ डिपॉजिट बॉक्स] मुहैया करा है, जिनमें रखी संपत्ति अन्य देशों के साथ कर समझौते की जद में नहीं आती है। इन तिजोरियों का इस्तेमाल स्विस फ्रैंक के एक हजार के नोट [58, 500 रुपये], हीरे-जवाहरात व बेशकीमती पेंटिंग रखने के लिए किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार स्विस बैंक अपने ग्राहकों को बता रहे हैं कि काला धन का पता लगाने के अभियान के तहत स्विट्जरलैंड के साथ विभिन्न देशों की संधियों में सिर्फ बचत खातों व निवेश खातों में रखी गई रकम की जानकारी देने का प्रावधान है। सेफ डिपॉजिट बॉक्स इनकी परिधि में नहीं आते। इसके मद्देनजर ऐसे बॉक्स व एक हजार फ्रैंक के नोट की मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक [एसएनबी] के ताजा आंकड़ों के अनुसार मुद्रा प्रसार में एक हजार के नोटों की संख्या पिछले साल के 50 फीसदी से बढ़कर 60 फीसद हो गई है। एसएनबी ने यह जानकारी भी दी है कि विभिन्न देशों के धन कुबेरों में एक हजार फ्रैंक के नोट की मांग बढ़ी है। हालांकि बैंक ने इन नोटों की भारतीयों के बीच मांग के बारे में जानकारी देने से इंकार किया।
इन बॉक्स की मांग इतनी ज्यादा हो गई है कि अब इन्हें चुनिंदा धन कुबेरों को ही मुहैया कराया जा रहा है। ऐसे बॉक्स की संख्या का कोई आधिकारिक आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन फीस व कमीशन से विभिन्न बैंकों की आमदनी के ब्योरे से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2011 में स्विस बैंकों की फीस व कमीशन में कमी दर्ज की गई, लेकिन सेफ डिपॉजिट बॉक्स पर वसूली जाने वाली रॉयल्टी व फीस में बढ़ोतरी हुई है।

30 जून 2012

PART - 3 साथियों आज वयवस्था परिवर्तन की जरुरत क्यों हें......

भारत के कानून ***
* Indian Education Act * - 1858 में Indian Education Act बनाया गया। इसकी ड्राफ्टिंग लोर्ड मैकोले ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W.Litnar और दूसरा था Thomas Munro, दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था। 1823 के आसपास की बात है ये Litnar , जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100 % साक्षरता है, और उस समय जब भारत में इतनी साक्षरता है और मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे और मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है "कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।" इसलिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया, जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया उनमे आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-पीटा, जेल में डाला। 1850 तक इस देश में 7 लाख 32 हजार गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे 7 लाख 50 हजार, मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में Higher Learning Institute हुआ करते थे उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था, और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा, और इन गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे फ्री स्कूल कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं और मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि "इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी" और उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है। और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा, अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा। लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी। संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी।

कोटा रावतभाटा में परमाणु ऊर्जा का काला सच आया सामने.............


 राजस्थान के रावतभाटा एटामिक पावर स्टेशन में दो कर्मियों के रेडियो एक्टिव पदार्थ ट्रीटियम की चपेट में आने  से दो की हालत ख़राब हो गयी है। दोनों को विशेषज्ञों की देखरेख में रखा गया है। लेकिन न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर ये मानने को तेयार नही की किसी रेडियोधर्मी पदार्थ के असाधारण रिसाव जैसा कोई मामला नहीं है। रिएक्टर-5 की बिल्डिंग में मॉडरेटर कवर गैस लाइन खोलने के दौरान ट्रीटियम के घोल की अधिकता हो गई। वहां पर वेल्डिंग का काम चल रहा था। सभी लोगों को वहां से हटा लिया गया, लेकिन दो लोग उसकी चपेट में आ गए। मामले की जानकारी परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड को दे दी गई और एक कमेटी को मामले की जांच सौंप दी गई है। ट्रीटियम एक औसत दर्जे का रेडियोधर्मी हाइड्रोजन है, जो न्यूक्लियर पावर प्लांट के कार्य करने के दौरान बनता है। 2009 में कैगा परमाणु संयत्र के वाटर कूलर से ट्रीटियम-मिश्रित पानी रिसने से कई कर्मी बीमार पड़ गए थे। 

29 जून 2012

11 डॉक्टर भी साबित नही कर पाए की पिंकी पुरुष हे या महिला ?



यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार महिला एथलीट पिंकी प्रमाणिक [26] के लिंग परीक्षण की प्राथमिक रिपोर्ट गुरुवार को बारासात कोर्ट को सौंप दी गई। यह रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है। इसके अनुसार पिंकी के महिला या पुरुष होने का पता नहीं चल सका है। रिपोर्ट को एसएसकेएम अस्पताल के 11 डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड ने तैयार किया है।

आखिर पेट्रोल हो ही गया सस्ता ....................


महंगे पेट्रोल से आम जनता को थोड़ी सी राहत फिर मिली है। तेल कंपनियों ने आज आधी रात से पूरे देश में पेट्रोल की खुदरा कीमत में 2.46 रुपये की कटौती का ऐलान किया है। स्थानीय कर को शामिल करने बाद देश के कई हिस्सों में पेट्रोल 3.25 रुपये तक सस्ता हो जाएगा। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 70.24 रुपये प्रति लीटर से घट कर 67.78 रुपये हो गई है। तेल कंपनियों का कहना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का यह रुख जारी रहा तो 15 जुलाई, 2012 के आसपास एक और मूल्य कटौती संभव है।
पिछले एक महीने में क्रूड की कीमत 108 डॉलर से घट कर 91 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है। चूंकि देश की तेल कंपनियां पेट्रोलियम उत्पाद बनाने के लिए 80 फीसदी तक कच्चा तेल बाहर से मंगवाती हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमत को देख कर ही पेट्रोल की घरेलू कीमत तय की जाती है। वैसे इस कमी के बावजूद तेल कंपनियों ने कहा है कि उन्हें डीजल पर इस समय 10.20 रुपये प्रति लीटर, केरोसिन पर 24.16 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस पर 396 रुपये प्रति गैस सिलिंडर का घाटा हो रहा है। इस हिसाब से पूरे वर्ष में तेल कंपनियों को 1,51,000 करोड़ रुपये का संभावित घाटा होने के आसार हैं। पर ये घाटा कहा  हो रहा हें ? वेसे  सोनिया की गुलाम केंद्र सरकार डीजल कीमत को तय करने का नया फार्मूला बना रही है। जिसके बाद डीजल भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो जायेगा और फिर पेट्रोल की कीमते जेसे बढ़ी वेसे इसकी भी कीमते आसमान छुएगी , लेकिन इसे राष्ट्रपति चुनाव के बाद लागू किया जाएगा ।

28 जून 2012

पाक ने 300 अन्य केदियो को किया रिहा, सरबजीत को नही छोड़ेगा.....


Pakistan frees 311 Indian prisoners
पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीत सिंह का भविष्य भले ही फिर अधर में लटक गया हो, लेकिन खुशी की बात यह है कि पाकिस्तान ने बुधवार को 311 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया। कराची की जिला मलीर जेल के अधिकारियों ने कहा कि 311 भारतीय कैदियों को सुबह आठ बजे रिहा किया गया। ये वो केदी हें  जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली थी, और इन्हे छोड़ कर पाक ने कोई सम्बन्ध सुधरने वाला कार्य नही किया हें इन्हे तो छोड़ना ही था। इनको भारत की वाघा सीमा पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। कैदियों में 21 नाबालिग भी थे।

part - 2....साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ?.............

                            PART -2

1840 तक का भारत जो था उसका विश्व व्यापार में हिस्सा 33% था, दुनिया के कुल उत्पादन का 43% भारत में पैदा होता था और दुनिया के कुल कमाई में भारत का हिस्सा 27% था। ये अंग्रेजों को बहुत खटकती थी, इसलिए आधिकारिक तौर पर भारत को लुटने के लिए अंग्रेजों ने कुछ कानून बनाये थे और वो कानून अंग्रेजों के संसद में बहस के बाद तैयार हुई थी, उस बहस में ये तय हुआ कि "भारत में होने वाले उत्पादन पर टैक्स लगा दिया जाये क्योंकि सारी दुनिया में सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं होता है और ऐसा हम करते हैं तो हमें टैक्स के रूप में बहुत पैसा मिलेगा।" तो अंग्रेजों ने सबसे पहला कानून बनाया Central Excise Duty Act और टैक्स तय किया गया 350% मतलब 100 रूपये का उत्पादन होगा तो 350 रुपया Excise Duty देना होगा, फिर अंग्रेजों ने समान के बेचने पर Sales Tax लगाया और वो तय किया गया 120% मतलब 100 रुपया का माल बेचो तो 120 रुपया CST दो। फिर एक और टैक्स आया Income Tax और वो था 97% मतलब 100 रुपया कमाया तो 97 रुपया अंग्रेजों को दे दो।

 

27 जून 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -1


साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? आजादी के 64 साल बाद भी देश मे सारे वही कानून अभी तक है, जो अंग्रेजों ने हमें लूटने कि लिये बनाये थे।
भारत में 1857 के पहले ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन हुआ करता था वो अंग्रेजी सरकार का सीधा शासन नहीं था। 1857 में एक क्रांति हुई जिसमे इस देश में मौजूद 99% अंग्रेजों को भारत के लोगों ने चुन चुन के मार डाला था और 1% इसलिए बच गए क्योंकि उन्होंने अपने को बचाने के लिए अपने शरीर को काला रंग लिया था। लोग इतने गुस्से में थे कि उन्हें जहाँ अंग्रेजों के होने की भनक लगती थी तो वहां पहुँच के वो उन्हें काट डालते थे। हमारे देश के इतिहास की किताबों में उस क्रांति को "सिपाही विद्रोह" के नाम से पढाया जाता है। Mutiny और Revolution में अंतर होता है लेकिन इस क्रांति को विद्रोह के नाम से ही पढाया गया हमारे इतिहास में। 1857 की गर्मी में मेरठ से शुरू हुई ये क्रांति जिसे सैनिकों ने शुरू किया था, लेकिन एक आम आदमी का आन्दोलन बन गया और इसकी आग पूरे देश में फैली और 1 सितम्बर तक पूरा देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो गया था। भारत अंग्रेजों और अंग्रेजी अत्याचार से पूरी तरह मुक्त हो गया था। लेकिन नवम्बर 1857 में इस देश के कुछ गद्दार रजवाड़ों ने अंग्रेजों को वापस बुलाया और उन्हें इस देश में पुनर्स्थापित करने में हर तरह से योगदान दिया। धन बल, सैनिक बल, खुफिया जानकारी, जो भी सुविधा हो सकती थी उन्होंने दिया और उन्हें इस देश में पुनर्स्थापित किया और आप इस देश का दुर्भाग्य देखिये कि वो रजवाड़े आज भी भारत की राजनीति में सक्रिय हैं। हमारे देश के इतिहास की किताबों में उस 1857 की क्रांति को सिपाही विद्रोह के नाम से पढाया जाता है। जो बिलकुल गलत है। अंग्रेज जब वापस आये तो उन्होंने क्रांति के उद्गम स्थल बिठुर (जो कानपुर के नजदीक है) पहुँच कर सभी 24000 लोगों का मार दिया चाहे वो नवजात हो या मरणासन्न। अंग्रेज जब वापस आये तो उन्होंने क्रांति के उद्गम स्थल बिठुर (जो कानपुर के नजदीक है) पहुँच कर सभी 24000 लोगों का मार दिया चाहे वो नवजात हो या मरणासन्न। बिठुर के ही नाना जी पेशवा थे और इस क्रांति की सारी योजना यहीं बनी थी इसलिए अंग्रेजों ने ये बदला लिया था। उसके बाद उन्होंने अपनी सत्ता को भारत में पुनर्स्थापित किया और जैसे एक सरकार के लिए जरूरी होता है वैसे ही उन्होंने कानून बनाना शुरू किया। अंग्रेजों ने कानून तो 1840 से ही बनाना शुरू किया था और मोटे तौर पर उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया था, लेकिन 1857 से उन्होंने भारत के लिए ऐसे-ऐसे कानून बनाये जो एक सरकार के शासन करने के लिए जरूरी होता है। आप देखेंगे कि हमारे यहाँ जितने कानून हैं वो सब के सब 1857 से लेकर 1946 तक के हैं। शेष कल.......

दिल्ली की जनता को एक और झटका, बिजली दरे 21 % बढाई .....


पहले से ही पेट्रोल और दूध के मामले में झटके खा रही दिल्ली की जनता को शीला दीक्षित ने महंगाई से त्रस्त करते हुए, दिल्ली की जनता को बिजली की दर बढ़ा कर एक और झटका दिया है। मंगलवार की शाम दिल्ली सरकार ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बिजली की दरों में 21 प्रतिशत तक की बढोतरी कर दी। नए दर के अनुसार उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक 3.70 रु., दो सौ से चार सौ यूनिट तक 4.80 रु. तथा चार सौ से ऊपर 6.40 रुपये प्रति यूनिट अदा करना होगा। बढ़ी हुई दर एक जुलाई से लागू होगी।
बिजली दर बढाने के फैसले पर मुख्यमंत्री ने बिजली कंपनियों के घाटा का रोना रोते हुए कहा कि बढोतरी का फैसला दिल्ली बिजली नियामक आयोग का है। इस बढोतरी के साथ ही दिल्लीवासियों को पिछले दस महीने में तीसरी बिजली दर में बढोतरी का सामना करना पड़ा।

23 जून 2012

उज्जेन में सब लोगो और वस्तुओ की परछाई गायब हो गयी थी कल, खगोलीय घटना के कारण.........


 गुरुवार को एक क्षण ऐसा आया, जब यहां हर वस्तु की परछाई ही गायब हो गई। यह नजारा देख लोग अचरज में पड़ गए। ऐसा खगोलीय घटना के चलते हुआ, जिसे देखने के लिए लिए मध्य प्रदेश के उज्जैन की जीवाजी वेधशाला में विशेष इंतजाम किए गए थे । 21 जून को पृथ्वी के परिभ्रमण में कुछ ऐसी स्थिति बनती है कि वह कर्क रेखा पर लंबवत हो जाती है, जिससे कर्क रेखा पर स्थित सभी स्थानों पर परछाई गायब हो जाती है। उज्जैन में जीवाजी वेधशाला में इस खगोलीय घटना को शंकुयंत्र के माध्यम से स्पष्ट रूप से देखा गया। ठीक 12 बजकर 28 मिनट पर शंकु की परछाई गायब हो गई।
जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डा. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि परिभ्रमण की स्थिति में सूर्य 21 जून को 23 डिग्री 26 अंश उत्तरी गोलार्ध की कर्क रेखा पर तथा 22 दिसंबर को 23 डिग्री 26 अंश दक्षिणी गोलार्ध की मकर रेखा पर होता है। इसी तरह 21 मार्च व 23 सितंबर को वह विषुवत रेखा पर होता है। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है। 21 जून के बाद सूर्य दक्षिणायन होने लगता है।

देश का पहला महिला कमांडो दस्ता मिलेगा पंजाब को .......


 पंजाब पुलिस को राज्य का पहला और देश का भी पहला महिला कमांडो दस्ता शनिवार को मिल जाएगा। आज इस कमांडो दस्ते की पासिंग आउट परेड के बाद यह दस्ता पूरी मुस्तैदी के साथ अपने काम पर लग जाएगा। यह देश के पुलिस विभाग में महिला कमांडो का पहला दस्ता है। महिला कमांडो एके 47 और पिस्टल से लैस रहेंगी।
पटियाला-राजपुरा रोड के पास किला बहादुरगढ़ स्थित कमांडो ट्रेनिंग सेंटर [सीटीसी] परिसर में सुबह से ही गोलियों की धांय-धांय गूंजने लगी थी। चारों ओर बारूद की गंध फैली हुई थी। लगभग महीने भर चली फायरिंग प्रैक्टिस के बाद सीटीसी के कमांडेंट गुरदीप सिंह पन्नू ने कमांडो के निशाने का आकलन किया।
शनिवार को पंजाब पुलिस की महिला कमांडो का पहला बैच पासआउट हो जाएगा और 20 महिला कमांडो का दूसरा बैच सीटीसी में दाखिल होगा। आने वाले दिनों में ये महिला कमांडो मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री समेत अन्य वीवीआइपी की सुरक्षा में पुरुष कमांडो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी निभाती दिखेंगी।

20 जून 2012

नालियों में और खुले में सड़ता अनाज, और दूसरी तरफ भूखे मरते लोग, नेता सत्ता के मद में चूर........


एक तरफ देश में भुखमरी फेली हुयी हें और दूसरी तरफ हजारो टन अनाज पड़ा-पड़ा सड़ रहा हें, और सरकार मूक बन तमाशा देख रही हें, गेहूं-धान को लेकर देश में समस्या बढ़ती जा रही है। गोदाम पहले से भरे हुए हैं और बंपर पैदावार ने सरकारी खरीद केंद्रों के मैदानों को भी भर दिया है। अकेले हरियाणा में 44 लाख टन गेहूं खुले में हैं और वहां की सरकार ने भंडारण में हाथ खड़े कर दिए हैं। एक अनुमान के अनुसार देश में करीब एक करोड़ टन खाद्यान्न खुले आकाश के नीचे पड़ा है। मानसून सिर पर है और खाद्यान्न खुले में। मानसून पूर्व की बारिश ने एक लाख टन खाद्यान्न बर्बाद भी कर दिया है, भारी बर्बादी तय मानी जा रही है।
उत्तर प्रदेश में हजारों क्विंटल गेहूं खुले आसमान के नीचे भगवान भरोसे पड़ा है। सोमवार की मामूली बारिश से कई जिलों में करीब एक लाख टन गेहूं भीग गया। गाजीपुर में सोमवार की बारिश में दस हजार क्विंटल गेहूं भीगा। यही हाल जौनपुर में हुआ। वहां 45 हजार क्विंटल गेहूं भीगा। लखीमपुर खीरी में भी बर्बादी हुई है। जबकि मैनपुरी में हजारों क्विंटल गेहूं भीग चुका है। कौशांबी में दर्जनों क्रय केंद्रों के बाहर पड़ा पांच हजार क्विंटल गेहूं आगाह किए जाने के बाद भी बारिश में भीग गया। प्रतापगढ़ में किसानों से खरीदे गए गेहूं को भीगने से बचाने का शासन का फरमान पहली बरसात में ही बह गया और वहां हजारों क्विंटल गेहूं भीगा है। इसी प्रकार से फतेहपुर में रखा 10 हजार टन गेहूं वर्षा की फुहारों से नम हो गया है। एक और लाखो लोगो को एक वक़्त की खाने को रोटी नही हें, दूसरी तरफ लाखो टन अनाज सडा रही ये सरकार वेसे भी खुद भी अन्दर से सड़ चुकी हें । कोन सुधारेगा इन्हें ? कोई बाहर से नही आएगा, हमें ही इनका करना होगा इलाज। कीजये हर जगह इस  लुटेरी  सरकार का विरोध कोई मोका हाथ से मत जाने दीजिये । 

अब भारत के पास भी होंगे सुपरसोनिक-मिसाइल से लेस विमान.......


देश ने वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआइ में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें लगाने की तैयारी है। अगर भारत इसमें सफल रहता है तो वह उन विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जिसके लड़ाकू विमान क्रूज मिसाइल से लैस हैं।रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के लड़ाकू विमानों के लिए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एयर-लांच्ड संस्करण को खरीदने का प्रस्ताव रखा है। इसकी मारक क्षमता 290 किमी है।
सुखोई लड़ाकू विमान को ब्रह्मोस से लैस करने के लिए दिसंबर के अंत तक भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से पहला परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए नासिक स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में सुखोई में बदलाव लाए जाएंगे। इसके बाद ब्रह्मोस द्वारा विकसित नए क्रूज मिसाइल को इसमें फिट किया जाएगा। अगर भारत इसमें सफल रहता है तो वायुसेना दुश्मनों के करीब गए बिना ही तकरीबन 300 किलोमीटर की दूरी से हमला करने में सक्षम हो जाएगा।


19 जून 2012

आस्ट्रेलिया में फिर से एक और भारतीय पर नस्लीय हमला..........


 आस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के एक ट्रैक्सी चालक पर बेसबॉल बैट लिए कुछ युवकों ने हमला कर दिया और उसकी टैक्सी में भी तोड़ फोड़ की। लूटपाट करने के इरादे से आए युवक चालक के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे थे और नस्लीय टिप्पणिया भी कर रहे थे। ये हमलावर दो चोरी की कारों में सवार थे और उन्होंने चेहरे पर नकाब पहना हुआ था।
हमले में घायल हुआ टैक्सी चालक हरप्रीत सिंह सनशाइन इलाके से गुजर रहा था, जब उसकी गाड़ी को पीछे से टक्कर मारी गई। उसके बाद एक दूसरी कार आगे आकर रुक गई। कार से चार युवक बेसबॉल बैट लेकर उतरे और उसकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिए और उस पर हमला किया। उन्होंने पूरी कार तोड़ दी और बाद में हरप्रीत से पैसे मागे। हमलावरों ने हरप्रीत सिंह से 150 डॉलर [करीब 8336 रुपये] और उनका मोबाइल छीन लिया। मारपीट के कारण सिंह के चेहरे पर कई जख्म बन गए हैं, वहीं एक अन्य चालक का हाथ टूट गया है।
टैक्सी मालिक सनी सिंह ने बताया कि हमले से पहले आस्ट्रेलियाई युवकों ने उस पर नस्लीय टिप्पणिया भी कीं। उन्होंने कहा कि तुम भारतीय हो और गाली देते हुए बोले - अपने देश वापस चले जाओ। आस्ट्रलिया में कुछ सालो से भारतीयों पर बढ़ते नस्लीय हमलो के कारण वेसे ही पहले ही कई भारतीय आस्ट्रेलिया छोड़ चुके हें ।

भ्रष्टाचार का विरोध करने पर, पुलिस ने की एक समाजसेवी की हत्या...............


मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक सामाजिक कार्यकर्ता अम्बिका दुबे को इसलिए पुलिस ने गोली मार कर हत्या कर दी की वो गाँव में सरकारी अनाज कम आने का विरोध करने का विरोध कर रहा था । प्रशासन ने इस घटना की मजिस्ट्रेट जाँच के आदेश के साथ ही पुरे थाने को सिर्फ लाइन हाजिर ही किया जबकि उन्हें निलंबित करना था। राज्य सरकार द्वारा वर्षा पूर्व उन गांव में अनाज का भंडारण कर देती है, जो पहुंच विहीन होते हैं। नरसिंहपुर जिले का झिलपनीढाना भी एक ऐसा ही गांव है, जो बरसात में चारों ओर से कट जाता है। जिला प्रशासन ने यहां भी खाद्यान्न भेजा था। गांव के समाजसेवी अम्बिका प्रसाद दुबे ने सहकारी समिति के लिए आए अनाज की मात्रा कम पाने पर विरोध दर्ज कराया। खाद्यान्न की जो मात्रा कागऔर जों में है, उससे वाहनों में कम थी। इसी बात को लेकर समिति के संचालक व दुबे के साथियों में विवाद हुआ। शनिवार की रात को सुआताल के थाना प्रभारी आशुतोष मय पुलिस बल के गांव पहुंचे। गांव वालों द्वारा अनाज से भरे वाहनों को रोके जाने पर पुलिस का भी गांव वालों से विवाद हुआ। विवाद के बाद पुलिस ने अम्बिका को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत घटनास्थल पर ही हो गई।
गांव वालों का आरोप है कि थाना प्रभारी ने गोली मारी है, वहीं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओ पी त्रिपाठी का कहना है कि पुलिस जवानों से हुई हाथापाई में अम्बिका की गोली लगने से मौत हुई है।
वहीं पुलिस अधीक्षक जी पांडे का कहना है कि जांच के बाद ही घटना की वजह का खुलासा हो पाएगा। इसके अलावा पुलिस ने गाँव वालो पर दबाव बनाने के लिए झूठे मामले में मृतक के परिजनों व ग्रामीणों के खिलाफ मारपीट, पथराव, कट्टे से फायर तथा शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने अम्बिका तथा अन्य के खिलाफ बंधक बनाने व ट्रक को जब्त कर लूटपाट करने का मामला दर्ज किया है, जिससे इन लोगो पर मामले में समझोता करने का दबाव बनाया जा सके ।

भारत ने किया इक और धमाका-देश की पहली स्वदेशी तकनीक वाली परमाणु पनडुब्बी का सफल परिक्षण

विकास की और बढ़ते देश ने स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी 'आइएनएस अरिहंत' के विकास के महत्वपूर्ण चरण को पार करते हुए उसके लघु परमाणु रिएक्टर का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है । परमाणु रिएक्टर को पनडुब्बी में लगाने के बाद उसे चालू भी किया गया। शुरुआती परीक्षण के बाद रिएक्टर को निकाल लिया गया हें । पनडुब्बी में परमाणु रिएक्टर लगाने और उसकी कमियां दूर करने की प्रक्रिया कुछ समय तक चलेगी। परमाणु रिएक्टर के आरंभिक सफल परीक्षण को देखते हुए इस बात की पूरी उम्मीद है कि आइएनएस अरिहंत के हार्बर एक्सेप्टेंस ट्रायल [एचएटी] अगले तीन महीने में और सी एक्सेप्टेंस ट्रायल [एसएटी] दिसंबर तक शुरू हो जाएंगे। करीब एक साल के परीक्षणों के बाद यह परमाणु पनडुब्बी भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगी। परमाणु पनडुब्बी संचालित करने वाला भारत दुनिया का छठा देश बन गया है। इस प्रतिष्ठित समूह में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन पहले से ही शामिल हैं।
अरिहंत का लघु परमाणु रिएक्टर 83 मेगावाट का दाबित [प्रेसराइज्ड] जल रिएक्टर है। इसे रूस के सहयोग से विकसित किया गया है। इसमें उच्च संवर्धित यूरेनियम ईधन इस्तेमाल किया जाता है। परंपरागत पनडुब्बी के विपरीत परमाणु पनडुब्बी पानी के भीतर महीनों तक रहती है। ऐसे में उसके हर हिस्से, पुर्जे और खासतौर से परमाणु रिएक्टर की जांच करना बेहद जरूरी होता है।
देश ने 26 जुलाई, 2009 को आइएनएस अरिहंत का जलावतरण किया था। हाल में उसने रूस से दस साल के पंट्टे पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आइएनएस चक्र को विशाखापत्तनम में अपने बेड़े में शामिल किया है। 

18 जून 2012

पुरुष से महिला बनी पिंकी प्रमाणिक को पूर्व रेलवे ने किया निलंबित.....

दुष्कर्म और पुरुष होने की आरोपी और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली एथलीट पिंकी प्रमाणिक को पूर्व रेलवे ने निलंबित कर दिया है। टिकट कलेक्टर के तौर पर काम करने वाली पिंकी को गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में रखा गया है।
पूर्व रेलवे के प्रवक्ता समीर गोस्वामी ने रविवार को बताया कि नौकरी की शर्तो के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 48 घंटे या उससे अधिक समय तक पुलिस या फिर न्यायिक हिरासत में है तो उसे स्वाभाविक तौर पर नौकरी से निलंबित माना जाएगा। पिंकी को शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था और उसे शर्तो के मुताबिक निलम्बित कर दिया गया। अधिकारी ने बताया कि पिंकी का निलंबन उसी शर्त पर वापस होगा, जब अदालत उसे सभी आरोपों से मुक्त कर देगी। अधिकारी अदालत की अनुमति लेते हुए पिंकी के शारीरिक और मेडिकल टेस्ट की वैधता की जांच करने का मन बना रहे है, जिसके माध्यम से इस एथलीट को रेलवे में नौकरी मिली थी। पिंकी को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था और शुक्रवार को अदालत ने उसे 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। ये लिंक देखे  http://oneindian009.blogspot.in/2012/06/blog-post_15.html
पिंकी की लिव-इन पार्टनर ने आरोप लगाया था कि वह एक पुरुष है और उसने उसके साथ दुष्कर्म किया है। इस विधवा महिला के मुताबिक पिंकी ने उसे शारीरिक यातना भी दी है।पुलिस ने कहा है कि इससे पहले दो बार यौन पहचान परीक्षण कराने से इंकार कर चुकी पिंकी को सोमवार को इस परीक्षण के लिए ले जाया जाएगा।

तालिबान ने की भारत की प्रशंसा, कहा ''अफगानिस्तान की धरती भारत के खिलाफ नही होने देंगे ईस्तमाल''




तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से भारत की प्रशंसा की है और कहा कि अफगानिस्तान की धरती का भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। तालिबान का यह रुख अफगानिस्तान मसले पर भारत द्वारा अमेरिका के प्रस्ताव को नकारने के बाद आया है। तालिबान ने अपने अंग्रेजी वेवसाइट 'वायस आफ जेहाद' पर भारत को क्षेत्र का महत्वपूर्ण देश करार दिया है। इसके साथ ही कहा गया है कि भारतीय अफगानिस्तान के लोगोकी इच्छाओं और आजादी की उनकी चाह का सम्मान करते है। ये तालिबान का बयान भारत द्वारा अमेरिका के दबाव के बावजूद अपने सेनिको को अफगानिस्तान में नहीं भेजने के मामले में आया हें ।

 अमेरिका के अफगानिस्तान से सैनिक वापसी के पूर्व इस माह में अमेरिका के रक्षा मंत्री लियोन पनेटा नई दिल्ली के दौरे पर आए थे। और पनेटा चाहते थे कि भारत अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए और अमेरिकी सैनिकों की वापसी से पहले अफगानिस्तान में अमेरिकी परेशानिया भारत अपने सर ले ले,खासकर सुरक्षा के मोर्चे पर, लेकिन भारत ने इस प्रस्ताव को नकार दिया। तालिबान ने कहा कि वह भारत के साथ संप्रभुता, समानता, समान आदर का सम्बंध चाहता है और दोनों के आंतरिक मामलों में किसी तीसरे के दखल की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। लेकिन सरकार को सावधान रहना होगा क्योंकी आतंकियों का कोई भरोसा नही हें, और वेसे भी तालिबान कई बार भारत को तबाह करने का एलान कर चुका हें,और अब ये मीठे ब्यान वो किस मकसद से दे रहा हें ? पाकिस्तान समर्थित तालिबान का प्रभुत्व बढ़ने से इस्लामाबाद को लाभ होगा।

17 जून 2012

मुंबई में फिर फेलेगी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक की ''दया'' - निलंबन से वापसी........


 मुंबई पुलिस के सबसे चर्चित सब इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक दोबारा से ड्यूटी पर आ गए हैं। आय से अधिक संपत्ति मामले में फंसने के बाद मुंबई पुलिस के हीरो रहे दया नायक को साढ़े छह साल का निलंबन  झेलना पड़ा। मुंबई पुलिस के ''नायक'' फिलहाल हथियार शाखा में काम करेंगे।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आदेश मिलते ही शनिवार को ड्यूटी पर आ गए। महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो ने कोर्ट द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद जनवरी, 2006 में उन्हें गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया था। अक्टूबर, 2009 में पुलिस महानिदेशक एसएस विर्क ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नायक के ऊपर मामला चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। इसके बाद नायक को बरी कर उनकी फाइल एसीबी को भेज दी गई थी। नायक 1995 बैच के पुलिस अधिकारी हैं।
एसीबी ने नायक पर चारकोप में पॉश फ्लैट, एक वित्तीय कंपनी के अलावा कर्नाटक में स्कूल खोले जाने का आरोप लगाया था। नायक ने अपने छोटे से कार्यकाल में लगभग 80 कुख्यात अपराधियों को मौत के घाट उतार दिया था। इनमें से तीन लश्कर ए तैयबा के आतंकी थे। तो अब मुंबई के अपराधियों में फिर से दया का खोफ  वाला  हें ।  

16 जून 2012

अब हर भारतीय की जानकारी बस एक किलक में मिलेगी, चिदम्बरम की नई योजना ...........

कितना कमीशन निकल जायेगा 1100 करोड़ ?मे से
शायद यही सोच रहे हें ये।... 
आतंकवादियों से संबंधित जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को तत्काल मुहैया कराने के लिए बनने वाले नेटग्रिड के उपकरण खरीदने पर 1100 करोड़ रुपये खर्च होंगे । पिछले दिनों इस पर हुयी सुरक्षा संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक इस का फेसला लिया गया,और सुरक्षा संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति ने आखिर इसे हरी झंडी दे दी। मुंबई हमले के बाद गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने नेटग्रिड बनाने का प्रस्ताव किया था और 2010 में मंत्रिमंडल ने इस पर अपनी मुहर लगा दी थी । पर ये मामला अब जाकर सुलझा,क्यों की शायद 1100 करोड़ में अपने कमीशन को लेकर इनमे आपसी मतभेद थे ।
पी. चिदंबरम का कहना  हें कि नेटग्रिड बनने के बाद रेलवे एवं हवाई टिकट से लेकर इनकम टैक्स, बैंक एकाउंट, क्रेडिट कार्ड, वीजा जैसे 21 श्रेणियों से संबंधित तमाम जानकारी कंप्यूटर पर उपलब्ध होगी । अब इसके पीछे इनका क्या मकसद हें ये तो पता नही ?
इनके अनुसार खुफिया ब्यूरो और राष्ट्रीय जांच एजेंसी समेत कुल 11 एजेंसियों को नेटग्रिड पर मौजूद डाटा के उपयोग का अधिकार होगा। इन एजेंसियों के अधिकारी अपने कंप्यूटर के एक क्लिक के सहारे किसी भी व्यक्ति से जुड़ी कोई भी जानकारी ले सकते हैं। एजेंसियों का मानना है कि नेटग्रिड होने की स्थिति में मुंबई हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा आतंकी डेविड कोलमैन हेडली बार-बार भारत आकर रेकी नहीं कर पाता। अब अपनी गलती पर  पर्दा डालने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा ना, 

81 करोड़ भारतीयों का आधार & पासपोर्ट डाटा बिक्री के लिए उपलब्ध

  अख़बार  बिजनेस स्टैंडर्ड  की रिपोर्ट के मुताबिक़, 81 करोड़ से ज़्यादा भारतीयों की निजी जानकारी डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध है. अख़बा...