सऊदी अरब मे नोकरी कर रहे भारतीयो की नोकरी के साथ ही खुद उन पर भी जैल जाने का खतरा मंडरा रहा हैं,
सऊदी अरब में 27 मार्च से लागू नितकत (श्रम) कानून की नई श्रम-नीति से वहां काम कर रहे लाखों भारतीयों की नौकरी खतरे मे पड गयी है। इस कानून के अनुसार निचले व मध्यम स्तर की सभी कंपनियों को 10 % नौकरियां स्थानीय युवकों के लिए रखनी होंगी। इस कानून को तोड़ने वाली कंपनियों के कर्मचारियों को गिरफ्तारी के बाद उन्हें उनके देश वापस भेजने का प्रावधान भी है। इस कानून के लागू होने से सऊदी अरब में कार्यरत भारत के कई लाख कामगार भी प्रभावित होंगे । प्रिंस ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वहां काम कर रहे भारतीयों से पूरा सहयोग किया जाएगा। वेसे इस मामले मे सऊदी के प्रिंस अपनी सरकार के श्रम मंत्रालय से बात करेंगे। सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास ने भी इस मामले मे वहां की सरकार से बात की है। एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, सऊदी अरब में करीब 20 लाख भारतीय कामगार कार्यरत हैं।
मध्य पूर्व के अखबार, खलीज टाइम्स के अनुसार, सऊदी अरब में करीब ढाई लाख लघु व मध्यम स्तर की कंपनियां तय समय सीमा में नितकत कानून की शर्ते लागू नहीं कर सकीं। इनके कर्मचारियों को उनके मूल देश वापस भेजा जा सकता है। कानून का सबसे बुरा असर केरल की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।
सऊदी अरब में 27 मार्च से लागू नितकत (श्रम) कानून की नई श्रम-नीति से वहां काम कर रहे लाखों भारतीयों की नौकरी खतरे मे पड गयी है। इस कानून के अनुसार निचले व मध्यम स्तर की सभी कंपनियों को 10 % नौकरियां स्थानीय युवकों के लिए रखनी होंगी। इस कानून को तोड़ने वाली कंपनियों के कर्मचारियों को गिरफ्तारी के बाद उन्हें उनके देश वापस भेजने का प्रावधान भी है। इस कानून के लागू होने से सऊदी अरब में कार्यरत भारत के कई लाख कामगार भी प्रभावित होंगे । प्रिंस ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वहां काम कर रहे भारतीयों से पूरा सहयोग किया जाएगा। वेसे इस मामले मे सऊदी के प्रिंस अपनी सरकार के श्रम मंत्रालय से बात करेंगे। सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास ने भी इस मामले मे वहां की सरकार से बात की है। एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, सऊदी अरब में करीब 20 लाख भारतीय कामगार कार्यरत हैं।
मध्य पूर्व के अखबार, खलीज टाइम्स के अनुसार, सऊदी अरब में करीब ढाई लाख लघु व मध्यम स्तर की कंपनियां तय समय सीमा में नितकत कानून की शर्ते लागू नहीं कर सकीं। इनके कर्मचारियों को उनके मूल देश वापस भेजा जा सकता है। कानून का सबसे बुरा असर केरल की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।
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