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23 जून 2012

उज्जेन में सब लोगो और वस्तुओ की परछाई गायब हो गयी थी कल, खगोलीय घटना के कारण.........


 गुरुवार को एक क्षण ऐसा आया, जब यहां हर वस्तु की परछाई ही गायब हो गई। यह नजारा देख लोग अचरज में पड़ गए। ऐसा खगोलीय घटना के चलते हुआ, जिसे देखने के लिए लिए मध्य प्रदेश के उज्जैन की जीवाजी वेधशाला में विशेष इंतजाम किए गए थे । 21 जून को पृथ्वी के परिभ्रमण में कुछ ऐसी स्थिति बनती है कि वह कर्क रेखा पर लंबवत हो जाती है, जिससे कर्क रेखा पर स्थित सभी स्थानों पर परछाई गायब हो जाती है। उज्जैन में जीवाजी वेधशाला में इस खगोलीय घटना को शंकुयंत्र के माध्यम से स्पष्ट रूप से देखा गया। ठीक 12 बजकर 28 मिनट पर शंकु की परछाई गायब हो गई।
जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डा. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि परिभ्रमण की स्थिति में सूर्य 21 जून को 23 डिग्री 26 अंश उत्तरी गोलार्ध की कर्क रेखा पर तथा 22 दिसंबर को 23 डिग्री 26 अंश दक्षिणी गोलार्ध की मकर रेखा पर होता है। इसी तरह 21 मार्च व 23 सितंबर को वह विषुवत रेखा पर होता है। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है। 21 जून के बाद सूर्य दक्षिणायन होने लगता है।

20 जून 2012

अब भारत के पास भी होंगे सुपरसोनिक-मिसाइल से लेस विमान.......


देश ने वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआइ में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें लगाने की तैयारी है। अगर भारत इसमें सफल रहता है तो वह उन विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जिसके लड़ाकू विमान क्रूज मिसाइल से लैस हैं।रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के लड़ाकू विमानों के लिए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एयर-लांच्ड संस्करण को खरीदने का प्रस्ताव रखा है। इसकी मारक क्षमता 290 किमी है।
सुखोई लड़ाकू विमान को ब्रह्मोस से लैस करने के लिए दिसंबर के अंत तक भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से पहला परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए नासिक स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में सुखोई में बदलाव लाए जाएंगे। इसके बाद ब्रह्मोस द्वारा विकसित नए क्रूज मिसाइल को इसमें फिट किया जाएगा। अगर भारत इसमें सफल रहता है तो वायुसेना दुश्मनों के करीब गए बिना ही तकरीबन 300 किलोमीटर की दूरी से हमला करने में सक्षम हो जाएगा।


27 मई 2012

350 से सालो से अबूझ न्यूटन की पहेली को हल किया भारतीय छात्र ने........


जर्मनी में भारतीय मूल के एक छात्र ने दुनिया की गणित में 350 से अधिक वर्षो से अबूझ बनी पहेली को हल किया है। 16 वर्षीय शौर्य रे प्रख्यात गणितज्ञ और भौतिकविद् सर आइजक न्यूटन के बने सर्वाधिक जटिल गणितीय सवाल को सुलझा लिया है। इस सवाल को सुलझाने के लिए भौतिकशास्त्री अभी तक कंप्यूटर का प्रयोग करते थे।
समाचार पत्र 'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय किशोर के इस समाधान का अर्थ है कि वैज्ञानिक अब यह पता लगा सकते हैं कि किसी गेंद को फेंके जाने पर वह किस रास्ते से गुजरेगी और वह किस प्रकार दीवार से टकराएगी और किस तरह लौटेगी।'
शौर्य के मुताबिक, 'ड्रेसडेन यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसरों ने कहा था कि न्यूटन के इस सवाल को कोई हल नहीं कर सकता। इसके बाद मैंने खुद से पूछा, मैं इसे क्यों नहीं हल कर सकता। मुझे विश्वास नहीं था कि इसका कोई हल भी होगा।'
शौर्य के पिता पेशे से इंजीनियर हैं जो चार साल पहले कोलकाता से जर्मनी चले गए थे। शौर्य ने छह साल की उम्र में ही गणित के कठिन सवालों को हल करना शुरू कर दिया था। किशोरावस्था में उसके पिता उसे अंकगणित के सवाल हल करने के लिए दिया करते थे। बाद में वह जर्मनी गया और वहां उसने जर्मन भाषा सीखी । 


81 करोड़ भारतीयों का आधार & पासपोर्ट डाटा बिक्री के लिए उपलब्ध

  अख़बार  बिजनेस स्टैंडर्ड  की रिपोर्ट के मुताबिक़, 81 करोड़ से ज़्यादा भारतीयों की निजी जानकारी डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध है. अख़बा...