अहिंसा या अय्याशी ? |
इस अहिंसा की नौटंकी से आखिर में अंग्रेजों को ही फायदा हुआ, वे जो 1857 में देश से भागने वाले थे, गांधी कि वजह से लगभग सौ वर्ष और राज करते रहे, भारतीयो से तो वे अहिंसा का पाठ पढ़ाते रहे, पर स्वयं हिंसा करते रहे, और 8 लाख भारतीयो को मार डाला, भारतीयों का गुस्सा गाँधी और नेहरु निकलवाते रहे, देश में दोनों मिल कर सारे के सारे अधूरे आंदोलन करवाते रहे, खुद एक भी लाठी न खाई, और जो असली देशभक्त थे, असली क्रांतिकारी थे, लाला लाजपतराय वो अंग्रेजो कि लाठी के शिकार हुए, उनको मारने वाले अंग्रेज को मारने वाले भगत सिंह कि फांसी कि सजा इसी गांधी ने माफ़ जान बुझ कर नही करवायी, अंग्रेज जिसके नाम से पेंट गीली कर देते थे, उन चन्द्रशेखर आजाद को नेहरू मुखबिरी करके मरवाया, देखे ये लिंक http://oneindian009.blogspot.in/2012/05/blog-post_9037.html और ये अहिंसा कि आड़ में जेल के नाम पर महलों में रहे अब वही आजदी के बाद अंग्रेज नाम बदल कर ..."कांग्रेस"... हैं, और सेफ्टी वाल्व यह नौटंकीबाज अन्ना है और इसका चेला यह केजरीवाल है, कोंग्रेस असली आंदोलन करने वालो बाबा रामदेव को लाठी मारती है, पर अन्ना और केजरीवाल को अब तक कितनी लाठियां लगीं हैं ?ये कोंग्रेस, अन्ना और खुजलीवाल आज भी एक हैं, कल भी एक थे, इनकी चाल है अंग्रेजो वाली, गांधी वाली .... अलग अलग दिखो
और मोदी को रोको ...!! इन नौटंकीबाजों से बचिए जरा ...!!! मोदी लाओ देश बचाओ। …।
और मोदी को रोको ...!! इन नौटंकीबाजों से बचिए जरा ...!!! मोदी लाओ देश बचाओ। …।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें