Indian Police Act* - 1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया। 1857 के पहले अंग्रेजों की कोई पुलिस नहीं थी इस देश में |
लेकिन 1857 में जो विद्रोह हुआ, उससे डरकर उन्होंने ये कानून बनाया ताकि ऐसे किसी विद्रोह/क्रांति को दबाया जा सके। अंग्रेजों ने इसे बनाया था भारतीयों का दमन और अत्याचार करने के लिए। उस पुलिस को विशेष अधिकार दिया गया। पुलिस को एक डंडा थमा दिया गया और ये अधिकार दे दिया गया कि अगर कहीं 5 से ज्यादा लोग हों तो वो डंडा चला सकता है, यानि लाठी चार्ज कर सकता है और वो भी बिना पूछे और बिना बताये, और पुलिस को तो Right to Offence है लेकिन आम आदमी को Right to Defense नहीं है। आपने अपने बचाव के लिए उसके डंडे को पकड़ा तो भी आपको सजा हो सकती है, क्योंकि आपने उसके ड्यूटी को पूरा करने में व्यवधान पहुँचाया है और आप उसका कुछ नहीं कर सकते।
इसी कानून का फायदा उठाकर "लाला लाजपत राय" पर लाठियां चलायी गयी थी, और लाला जी की मृत्यु हो गयी थी और लाठी चलाने वाले सांडर्स का क्या हुआ था ? कुछ नहीं, क्योंकि वो अपनी ड्यूटी कर रहा था और जब सांडर्स को कोई सजा नहीं हुई तो लालाजी के मौत का बदला भगत सिंह ने सांडर्स को गोली मारकर लिया था। वही दमन और अत्याचार वाला कानून "इंडियन पुलिस एक्ट" आज भी इस देश में बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले चल रहा है, और बेचारे पुलिस की हालत देखिये कि ये 24 घंटे के कर्मचारी हैं उतने ही तनख्वाह में, तनख्वाह मिलती है 8 घंटे की, और ड्यूटी रहती है 24 घंटे की और जेल मैनुअल के अनुसार आपको पुरे कपडे उतारने पड़ेंगे आपकी बॉडी मार्क दिखाने के लिए, भले ही आपका बॉडी मार्क आपके चेहरे पर क्यों न हो। और जेल के कैदियों को अल्युमिनियम के बर्तन में खाना दिया जाता था, ताकि वो जल्दी मरे, वो अल्युमिनियम के बर्तन में खाना देना आज भी जारी हैं हमारे जेलों में, क्योंकि वो अंग्रेजों के इस कानून में है। जारी .......
लेकिन 1857 में जो विद्रोह हुआ, उससे डरकर उन्होंने ये कानून बनाया ताकि ऐसे किसी विद्रोह/क्रांति को दबाया जा सके। अंग्रेजों ने इसे बनाया था भारतीयों का दमन और अत्याचार करने के लिए। उस पुलिस को विशेष अधिकार दिया गया। पुलिस को एक डंडा थमा दिया गया और ये अधिकार दे दिया गया कि अगर कहीं 5 से ज्यादा लोग हों तो वो डंडा चला सकता है, यानि लाठी चार्ज कर सकता है और वो भी बिना पूछे और बिना बताये, और पुलिस को तो Right to Offence है लेकिन आम आदमी को Right to Defense नहीं है। आपने अपने बचाव के लिए उसके डंडे को पकड़ा तो भी आपको सजा हो सकती है, क्योंकि आपने उसके ड्यूटी को पूरा करने में व्यवधान पहुँचाया है और आप उसका कुछ नहीं कर सकते।
इसी कानून का फायदा उठाकर "लाला लाजपत राय" पर लाठियां चलायी गयी थी, और लाला जी की मृत्यु हो गयी थी और लाठी चलाने वाले सांडर्स का क्या हुआ था ? कुछ नहीं, क्योंकि वो अपनी ड्यूटी कर रहा था और जब सांडर्स को कोई सजा नहीं हुई तो लालाजी के मौत का बदला भगत सिंह ने सांडर्स को गोली मारकर लिया था। वही दमन और अत्याचार वाला कानून "इंडियन पुलिस एक्ट" आज भी इस देश में बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले चल रहा है, और बेचारे पुलिस की हालत देखिये कि ये 24 घंटे के कर्मचारी हैं उतने ही तनख्वाह में, तनख्वाह मिलती है 8 घंटे की, और ड्यूटी रहती है 24 घंटे की और जेल मैनुअल के अनुसार आपको पुरे कपडे उतारने पड़ेंगे आपकी बॉडी मार्क दिखाने के लिए, भले ही आपका बॉडी मार्क आपके चेहरे पर क्यों न हो। और जेल के कैदियों को अल्युमिनियम के बर्तन में खाना दिया जाता था, ताकि वो जल्दी मरे, वो अल्युमिनियम के बर्तन में खाना देना आज भी जारी हैं हमारे जेलों में, क्योंकि वो अंग्रेजों के इस कानून में है। जारी .......
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