लगता हैं की देश की सरकार ने ये सोच लिया हैं की देश से गरीबी नही, गरीब का ही बिलकुल सफाया कर देंगे | जी हाँ अब सरकार ने चीनी पर लगे सभी सरकारी
नियंत्रण हटा लिए गए हैं।चीनी (शक्कर ) को भी नियंत्रण मुक्त कर दिया गया हैं ,अब पेट्रोल को जब नियंत्रण मुक्त किया था, ओर उसके बाद पेट्रोल के दाम जो आसमान पर गए हैं वो तो सब को पता हैं ही, तो अब बारी चीनी की हैं | अब न चीनी मिलों से लेवी चीनी सरकार वसूलेगी, और न ही
खुले बाजार में चीनी बेचने पर कोई रोक-टोक होगी। आखिर कृषि मंत्री रहे शरद पवार के दबाव मे सरकार ने आम जनता के हाथ से चाय का कप भी छीन लिया, ओर साथ ही इस फैसले ने देश के ऊपर कई हजार करोड़ रुपयो का भार भी डाल दिया हैं, क्यू की राशन प्रणाली की सस्ती
चीनी का बोझ केंद्र सरकार ओर राज्य सरकार खुद उठाएगी, तो वो पेसा भी उसी आमजन से वसूला जाएगा । इस फेसले से चीनी उद्योग को 3,000 करोड़ रुपये का सीधा
फायदा होगा। दूसरी तरफ इसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकाकर भुगतना पड़ेगा । चीनी उद्योग की यह बहुत
पुरानी मांग थी, जिसे सरकार ने मान लिया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति [सीसीईए] की बैठक में खाद्य मंत्रालय के मसौदे पर मुहर लगा कर आम जन के हाथ से चाय का प्याला तक छीनने का पूरा इंतजाम मनमोहन जी कर दिया है।
अब चीनी मिल मालिक अपनी मर्जी से बाजार में मांग व आपूर्ति के सिद्धांत के तहत अपने मनमाफिक चीनी बेच सकेंगे, ओर जब चाहे बाजार मे इसकी सप्लाई कम ज्यादा कर दाम बढ़ा सकेंगे। कुल मिला कर आम जनता को अब चाय पीना भी भूलना होगा |
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति [सीसीईए] की बैठक में खाद्य मंत्रालय के मसौदे पर मुहर लगा कर आम जन के हाथ से चाय का प्याला तक छीनने का पूरा इंतजाम मनमोहन जी कर दिया है।
अब चीनी मिल मालिक अपनी मर्जी से बाजार में मांग व आपूर्ति के सिद्धांत के तहत अपने मनमाफिक चीनी बेच सकेंगे, ओर जब चाहे बाजार मे इसकी सप्लाई कम ज्यादा कर दाम बढ़ा सकेंगे। कुल मिला कर आम जनता को अब चाय पीना भी भूलना होगा |
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