5 फ़रवरी 2013

सत्ता जहर नही ''च्यवन-प्राश'' हें जी .......

सत्ता अगर जहर हें, तो सत्ता का सुख भोगने वाले तो जहरीले ही होंगे, अब जो सत्ता में हे वो तो जहर ही देगा सबको, उस से अमृत की अपेक्षा करना व्यर्थ ही हें । सत्ता जहर नही ''च्यवन-प्राश'' हें जी क्यों की ये रखे हमेशा तन्दुरुस्त और शक्तिशाली,   ......
तो अब तो आप समझ ही गये होंगे की सत्ता जहर होती तो नेता उसे नही पीते, जहर तो देश में फेला हुआ साम्प्रदायिकवाद,         भ्रष्टचार,गरीबी हें ।

81 करोड़ भारतीयों का आधार & पासपोर्ट डाटा बिक्री के लिए उपलब्ध

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