24 अगस्त 2012

एक भारतीय सैनिक का सियाचिन से माँ को लिखा हुआ खत-..........

समय निकाल कर एक बार इस ख़त को जरुर पढ़ें ...
एक भारतीय सैनिक का सियाचिन से माँ को लिखा हुआ खत-

प्रणाम माँ,

माँ बचपन में मैं जब भी रोते रोते सो जाया करता था, तो तू चुपके से मेरे
सिरहाने खिलोने रख दिया करती थी, और कहती थी की ऊपर से एक परी ने आके रखा है,
और कह गई है की अगर मैं फिर कभी रोया तो और खिलोने नहीं देगी !
लेकिन इस मरते हुए देश का सैनिक बनके रो तो मैं आज भी रहा हूँ,
पर अब ना तू आती है और ना तेरी परी ! परी क्या .. 
यहाँ ढाई हजार मीटर ऊपर तो परिंदा भी नहीं मिलता !
मात्र 14 हज़ार रुपए के लिए मुझे कड़े अनुशासन में रखा जाता है, लेकिन वो
अनुशासन ना इन भ्रष्ट नेताओं के लिए है और ना इन मनमौजी देशवासियों के
लिए !
रात भर जगते तो हम भी हैं लेकिन अपनी देश की सुरक्षा के लिए,

लेकिन वो जगते हैं लेट नाईट पार्टी के लिए !

हम इस -12 डिग्री में आग जला के अपने आप को गरम करते हैं,

लेकिन हमारे देश के नेता हमारे ही पोशाकों, कवच, बन्दूकों, गोलियों और जहाजों में
घोटाले करके अपनी जेबे गरम करते हैं !

आतंकियों से मुठभेड़ में मरे हुए सैनिकों की संख्या को,

न्यूज़ चैनल में नहीं दिखाया जाता लेकिन,
सचिन के शतक से पहले आउट हो जाने को देश के राष्ट्रिय
शोक की तरह दिखाया जाता है !

हर चार-पाँच सालों ने हमें एक जगह से दूसरी जगह उठा के फेंक दिया जाता है,
लेकिन यह नेता लाख चोरी करलें,

बार बार उसी विधानसभा - संसद में पहुंचा
दिए जाते हैं !
मैं किसी आतंकी को मार दूँ तो पूरी राजनितिक पार्टियां वोट के लिए,

उसे बेकसूर बना के मुझे कसूरवार बनाने में लग जाती हैं,
वो आये दिन अपने अपने भ्रष्टाचारो से देश को आये दिन मारते हैं,
कितने ही लोग भूखे मरते हैं, कितने ही किसान आत्महत्या करते हैं,
कितने ही बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं,
लेकिन उसके लिए इन नेताओं को जिम्मेवार नहीं ठहराया जाता !
नीचे अल्पसंख्यको के नाम पर आरक्षण बाँटा जा रहा है,

लेकिन आज तक मरे हुए शहीद सैनिकों की संख्या के आधार पर,
कभी किसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया.
मैं दुखी हूँ इस मरे हुए संवेदनहीन देश का सैनिक बनके ! 

यह हमें केवल याद करते हैं 26 जनवरी को और 15 अगस्त को !
बाकी दिन तो इनको शाहरुख़, सलमान, सचिन, युवराज की फ़िक्र रहती है !
हमारी हालत ठीक वैसे ही उस पागल किसान की तरह है,

जो अपने मरे हुए बेल पर भी कम्बल डाल के खुद ठंड में ठिठुरता रहता है !
मैंने गलती की इस देश का रक्षक बनके !
तू भगवान् के ज्यादा करीब है तो उनसे कह देना की,

अगले जन्म में मुझे अगर इस देश में पैदा करे तो,
सेनिक ना बनाए और अगर सैनिक बनाए तो इस देश में पैदा ना करे !
यहाँ केवल परिवार वाद चलता है, 

अभिनेता का बेटा जबरदस्ती अभिनेता बनता है
और नेता का बेटा जबरदस्ती नेता !
प्रणाम-
लखन सिंह (मरे हुए देश का जिन्दा सेनिक)
भारतीय सैनिक-सियाचिन, 

18 ग्रेनेडियर बटालियन, हाल पोस्ट-सियाचिन सेक्टर,

23 अगस्त 2012

''खलनायक'' से नायक अभिनेता संजय दत्त फिर फंसते नजर आ रहे हें.......


Uphold Sanjay Dutt's conviction in '93 Mumbai blasts: CBI to SC
सुनील दत्त के पुत्र ओ नर्गिस दत्त केंसर फौन्डेशन चलाने वाले मशहूर फिल्म अभिनेता संजय दत्त के लिए सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट से मुंबई हाई कोर्ट द्वारा संजय दत्त को आ‌र्म्स एक्ट के तहत दी गई छह साल की सजा को बरकरार रखने का अनुरोध किया है। (ज्ञात रहे संजय के पिता सुनील दत्त कांग्रेस सरकार में खेल मंत्री थे, और  मंत्रालय के किसी मामले को लेकर उनकी सोनिया से भारी अनबन थी.)
बाबरी मस्जिद कांड के बाद 1993 में मुंबई बम धमाकों से पूरे देश हिल उठा था। इसमें 257 लोगों की मौत हुई थी और 713 लोग घायल हुए थे। घटना में संजय दत्त का नाम भी आरोपियों में शामिल किया गया था। इस दौरान संजय दत्त के घर में ली गई तलाशी के दौरान पुलिस को एक पिस्टल व एके-56 रायफल की स्प्रिंग भी बरामद हुई थी। इस प्रकरण में 2006 में टाडा की विशेष अदालत में हुई सुनवाई में संजय दत्त को अवैध हथियार रखने के मामले में छह साल के कारावास की सजा सुनाई थी। 2007 में संजय दत्त ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए बेल के लिए प्रार्थना पत्र लगाया। अदालत ने संजय दत्त के प्रार्थनापत्र का संज्ञान लेते हुए उन्हें बेल दे दी थी। तब संजय दत्त 18 माह जेल में गुजारने के बाद बाहर आए थे। अब इस मामले में सीबीआइ ने फिर से संजय दत्त पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है। हालांकि बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि सीबीआई ने संजय दत्त के घर की तलाशी के दौरान जिस 18 इंच के स्प्रिंग के बरामद होने का जिक्र किया था, वह कोर्ट में पेश ही नहीं की गई। इसके स्थान पर 16 इंच की स्प्रिंग रखी गई है। जबकि वास्तविकता यह है कि 18 इंच की स्प्रिंग का एके-56 रायफल में इस्तेमाल होता ही नहीं है। ऐसे में सीबीआइ खुद ही अपने साक्ष्यों के साथ छेड़खानी कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त से उसके अंडरव‌र्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के साथ रिश्तों को लेकर सवाल किए थे। और संजय दत्त के वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल ने दो फिल्म निर्माताओं के साथ दुबई में दाउद के साथ डिनर किया था, लेकिन यह घटना भी मुंबई बम धमाकों से पहले की है।

22 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART- 8............


साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -8


*Indian Penal Code* - अंग्रेजों ने एक कानून हमारे देश में लागू किया था जिसका नाम है Indian Penal Code (IPC ). ये Indian Penal Code अंग्रेजों के एक और गुलाम देश Ireland के Irish Penal Code की फोटोकॉपी है, वहां भी ये IPC ही है लेकिन Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वहीं भारत में इस "I" का मतलब Indian है, इन दोनों IPC में बस इतना ही अंतर है बाकि कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है। अंग्रेजों का एक अधिकारी था वी.मैकोले, उसका कहना था कि भारत को हमेशा के लिए गुलाम बनाना है तो इसके शिक्षा तंत्र और न्याय व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करना होगा और आपने Indian Education Act पढ़ा होगा, वो भी मैकोले ने ही बनाया था, और उसी मैकोले ने इस IPC की भी ड्राफ्टिंग की थी। ये बनी 1840 में और भारत में लागू हुई 1860 में। ड्राफ्टिंग करते समय मैकोले ने एक पत्र भेजा था ब्रिटिश संसद को जिसमे उसने लिखा था कि "मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है, जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा। इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा और जिन भारतीयों के लिए ये कानून बनाया गया है उन्हें ही ये सबसे ज्यादा तकलीफ देगी। और भारत की जो प्राचीन और परंपरागत न्याय व्यवस्था है उसे जडमूल से समाप्त कर देगा और वो आगे लिखता है कि "जब भारत के लोगों को न्याय नहीं मिलेगा, तभी हमारा राज मजबूती से भारत पर स्थापित होगा।" ये हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के इसी IPC के आधार पर चल रही है और आजादी के 64 साल बाद हमारी न्याय व्यवस्था का हाल देखिये कि लगभग 4 करोड़ मुक़दमे अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग हैं, उनके फैसले नहीं हो पा रहे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन न्याय मिलने की दूर-दूर तक सम्भावना नजर नहीं आ रही है, कारण क्या है ? कारण यही IPC है। IPC का आधार ही ऐसा है।

PART -5 http://oneindian009.blogspot.in/2012/08/part-5.html
PART -6 http://oneindian009.blogspot.in/2012/08/part-6.html
PART -7 http://oneindian009.blogspot.in/2012/08/part-7.html

19 अगस्त 2012

असली ''टाइगर'' को जरूर याद कर लेँ.........


"एक था टाइगर" सलमान खान अभिनीत ये फिल्म 15 अगस्त को भारत भर मेँ रिलीज की गयी हें , अगर आपने भी इस फिल्म को देखने का प्लान बनाया है तो पहले आपको ये पोस्ट
पढ़नी चाहिये -
फोटो मेँ दिखाया गया ये शख्स सलमान खान की तरह बहुत मशहूर तो नहीँ है, और शायद ही कोई इनके बारे मेँ जानता हो या किसी से सुना हो -

इनका नाम था रवीन्द्र कौशिक ये भारत की जासूसी संस्था RAW के भूतपूर्व एजेन्ट थे, राजस्थान के श्रीगंगानगर मेँ पले बढ़े रवीन्द्र ने 23 साल की उम्र मेँ ग्रेजुएशन करने के बाद RAW ज्वाइन की थी, तब तक  भारत पाकिस्तान और चीन के साथ एक-एक लड़ाई लड़ चुका था, और पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक और युद्ध की तैयारी कर रहा था। जब भारतीय सेना को इसकी भनक लगी, उसने RAW के जरिये रवीन्द्र कौशिक को भारतीय जासूस बनाकर पाकिस्तान भेजा, रवीन्द्र ने नाम बदलकर यहाँ के एक कालेज मेँ दाखिला लिया। यहाँ से वो कानून की पढ़ाई मेँ एक बार फिर ग्रेजुएट हुए, और उर्दू सीखी और बाद में पाकिस्तानी सेना मेँ जासूसी के लिये भर्ती हो गये। कमाल की बात है की पाकिस्तान को कानोँ कान खबर नहीँ हुई कि उसकी सेना मेँ भारत का एक एजेँट है ! रवीन्द्र ने 30 साल अपने घर से दूर रहकर देश की खातिर खतरनाक परिस्थितियोँ के बीच पाकिस्तानी सेना मेँ बिताए ! इसकी बताई जानकारियोँ के बलबूते पर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर रणनीति तैयार की ! पाकिस्तान तो भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध से काफी पहले ही युद्ध छेड़ देता, पर रवीन्द्र के रहते ये संभव ना हो पाया। केवल एक आदमी ने पाकिस्तान को खोखला कर दिया था ! भारतीय सेना को रवीन्द्र के जरिये रणनीति बनाने का पूरा मौका मिला, और पाकिस्तान जिसने कई बार राजस्थान से सटी सीमा पर युद्ध छेड़ने का प्रयास किया, उसे मुँह की खानी पड़ी ! ये बात बहुत कम लोगोँ को पता है कि पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाईयोँ का असली हीरो रवीन्द्र कौशिक है। रवीन्द्र के बताये अनुसार भारतीय सेना के जवानोँ ने अपने अतुल्य साहस का प्रदर्शन करते हुये पहलगाम मेँ घुसपैठ कर चुके 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकोँ को मार गिराया, पर दुर्भाग्य से रवीन्द्र का राज पाकिस्तानी सेना के सामने खुल गया, रवीन्द्र ने किसी तरह भागकर खुद को बचाने के लिये भारत सरकार से अपील की, पर सच्चाई सामने आने के बाद तत्कालीन इंदिरा गाँधी सरकार ने उसे भारत वापिस लाने मेँ कोई रुचि नहीँ दिखाई ! अततः उसे पाकिस्तान मेँ ही पकड़ लिया गया और जेल मेँ डाल दिया उस पर तमाम तरह के मुकदमेँ चलाये गये, उसको टार्चर किया गया कि वो भारतीय सेना की गुप्त जानकारियाँ बता दे, उसे छोड़ देने का लालच भी दिया गया पर उसने मुँह नहीँ खोला, और बाद मे जेल मे ही उसकी मौत हो गयी...
ये सिला मिला रवीन्द्र कौशिक को 30 साल की देशभक्ति का , भारत सरकार ने भारत मेँ मौजूद रवीन्द्र से संबंधित सभी रिकार्ड मिटा दिये और RAW को धमकी दी कि, अपना रवीन्द्र के मामले मे अपना मुँह बंद रखे, उसके परिवार को हाशिये मेँ ढकेल दिया गया, और भारत का ये सच्चा सपूत गुमनामी के अंधेरे मेँ खो गया। एक था टाइगर नाम की ये फिल्म रवीन्द्र कौशिक के जीवन पर ही आधारित है, जब इस फिल्म का निर्माण हो रहा था, तो भारत सरकार के भारी दखल के बाद इसकी स्क्रिप्ट मेँ फेर बदल करके इसकी कहानी मे बदलाव किया गया पर मूल कथा वही है ! इस देशभक्त को गुमनाम ना होने देँ शेयर एवं टैग करेँ इस पोस्ट को और ज्यादा से ज्यादा लोगोँ को बतायेँ और हाँ जब भी ये फिल्म देखने जायेँ तब इस असली टाइगर को जरूर याद कर लेँ।

16 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -7


साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ?

*Indian Forest Act* - 1865 में Indian Forest Act बनाया गया और ये लागू हुआ 1872 में। इस कानून के बनने के पहले जंगल गाँव की सम्पति माने जाते थे, और गाँव के लोगों की सामूहिक हिस्सेदारी होती थी इन जंगलों में, वो ही इसकी देखभाल किया करते थे, इनके संरक्षण के लिए हर तरह का उपाय करते थे, नए पेड़ लगाते थे, और इन्ही जंगलों से जलावन की लकड़ी इस्तेमाल कर के वो खाना बनाते थे। अंग्रेजों ने इस कानून को लागू कर के जंगल के लकड़ी के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया। साधारण आदमी अपने घर का खाना बनाने के लिए लकड़ी नहीं काट सकता, और अगर काटे तो वो अपराध है और उसे जेल हो जाएगी, अंग्रेजों ने इस कानून में ये प्रावधान किया कि भारत का कोई भी आदिवासी या दूसरा कोई भी नागरिक पेड़ नहीं काट सकता, और आम लोगों को लकड़ी काटने से रोकने के लिए उन्होंने एक पोस्ट बनाया District Forest Officer जो उन लोगों को तत्काल सजा दे सके, उस पर केस करे, उसको मारे-पीटे। लेकिन दूसरी तरफ जंगलों के लकड़ी की कटाई के लिए ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी, जो आज भी लागू है और कोई ठेकेदार जंगल के जंगल साफ़ कर दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता। अंग्रेजों द्वारा नियुक्त ठेकेदार जब चाहे, जितनी चाहे लकड़ी काट सकते हैं। हमारे देश में एक अमेरिकी कंपनी है जो वर्षों से ये काम कर रही है, उसका नाम है ITC पूरा नाम है Indian Tobacco Company इसका असली नाम है American Tobacco Company, और ये कंपनी हर साल 200 अरब सिगरेट बनाती है और इसके लिए 14 करोड़ पेड़ हर साल काटती है। इस कंपनी के किसी अधिकारी या कर्मचारी को आज तक जेल की सजा नहीं हुई, क्योंकि ये इंडियन फोरेस्ट एक्ट ऐसा है जिसमे सरकार के द्वारा अधिकृत ठेकेदार तो पेड़ काट सकते हैं, लेकिन आप और हम चूल्हा जलाने के लिए, रोटी बनाने के लिए लकड़ी नहीं ले सकते और उससे भी ज्यादा ख़राब स्थिति अब हो गयी है, आप अपने जमीन पर के पेड़ भी नहीं काट सकते। तो कानून ऐसे बने हुए हैं कि साधारण आदमी को आप जितनी प्रताड़ना दे सकते हैं, दुःख दे सकते है, पर विशेष आदमी को आप छू भीं नहीं सकते और जंगलों की कटाई से देश को घाटा ये हुआ कि मिटटी बह-बह के नदियों में आ गयी और नदियों की गहराई को इसने कम कर दिया और बाढ़ का प्रकोप बढ़ता गया। अगले पोस्ट में नया कानून.......... 

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? ALL - PART


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PART -6 http://oneindian009.blogspot.in/2012/08/part-6.html

15 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -6..........

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -6

* Indian Income Tax Act* - इस एक्ट पर जब ब्रिटिश संसद में चर्चा हो रही थी तो एक सदस्य ने कहा कि "ये तो बड़ा confusing है, कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है", तो दुसरे ने कहा कि हाँ इसे जानबूझ कर ऐसा रखा गया है ताकि जब भी भारत के लोगों को कोई दिक्कत हो तो वो हमसे ही संपर्क करें। आज भी भारत के आम आदमी को छोडिये, इनकम टैक्स के वकील भी इसके नियमों को लेकर दुविधा की स्थिति में रहते हैं और इनकम टैक्स की दर रखी गयी 97% यानि 100 रुपया कमाओ तो 97 रुपया टैक्स में दे दो और उसी समय ब्रिटेन से आने वाले सामानों पर हर तरीके के टैक्स की छुट दी जाती है ताकि ब्रिटेन के माल इस देश के गाँव-गाँव में पहुँच सके और इसी चर्चा में एक सांसद कहता है कि "हमारे तो दोनों हाथों में लड्डू है, अगर भारत के लोग इतना टैक्स देते हैं तो वो बर्बाद हो जायेंगे या टैक्स की चोरी करते हैं तो बेईमान हो जायेंगे और अगर बेईमान हो गए तो हमारी गुलामी में आ जायेंगे और अगर बरबाद हुए तो हमारी गुलामी में आने ही वाले है।" तो ध्यान दीजिये कि इस देश में टैक्स का कानून क्यों लाया जा रहा है ? क्योंकि इस देश के व्यापारियों को, पूंजीपतियों को, उत्पादकों को, उद्योगपतियों को, काम करने वालों को या तो बेईमान बनाया जाये या फिर बर्बाद कर दिया जाये, ईमानदारी से काम करें तो ख़त्म हो जाएँ और अगर बेईमानी करें तो हमेशा ब्रिटिश सरकार के अधीन रहें। अंग्रेजों ने इनकम टैक्स की दर रखी थी 97% और इस व्यवस्था को 1947 में ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आपको जान के ये आश्चर्य होगा कि 1970-71 तक इस देश में इनकम टैक्स की दर 97% ही हुआ करती थी। इसी देश में भगवान श्रीराम जब अपने भाई भरत से संवाद कर रहे हैं तो उनसे कह रहे है कि प्रजा पर ज्यादा टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए और चाणक्य ने भी कहा है कि टैक्स ज्यादा नहीं होना चाहिए नहीं तो प्रजा हमेशा गरीब रहेगी, अगर सरकार की आमदनी बढ़ानी है तो लोगों का उत्पादन और व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करो। अंग्रेजों ने तो 23 प्रकार के टैक्स लगाये थे उस समय इस देश को लुटने के लिए, अब तो इस देश में VAT को मिला के 64 प्रकार के टैक्स हो गए हैं। महात्मा गाँधी के देश में नमक पर भी टैक्स हो गया है और नमक भी विदेशी कंपनियां बेंच रही हैं, आज अगर गाँधी जी की आत्मा स्वर्ग से ये देखती होगी तो आठ-आठ आंसू रोती होगी कि जिस देश में मैंने नमक सत्याग्रह किया कि विदेशी कंपनी का नमक न खाया जाये आज उस देश में लोग विदेश कंपनी का नमक खरीद रहे हैं और नमक पर टैक्स लगाया जा रहा है। शायद हमको मालूम नहीं है कि हम कितना बड़ा National Crime कर रहे हैं।,.......जारी अगले पोस्ट में .......

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? ALL - PART

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14 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -5 ............


साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ...... CONTINUE......... 

* Indian Civil Services Act* - 1860 में ही इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट बनाया गया। ये जो Collector हैं वो इसी कानून की देन हैं। भारत के Civil Servant जो हैं उन्हें Constitutional Protection है, क्योंकि जब ये कानून बना था उस समय सारे ICS अधिकारी अंग्रेज थे और उन्होंने अपने बचाव के लिए ऐसा कानून बनाया था, ऐसा विश्व के किसी देश में नहीं है, और वो कानून चूंकि आज भी लागू है इसलिए भारत के IAS अधिकारी सबसे निरंकुश हैं। अभी आपने CVC थॉमस का मामला देखा होगा। इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता और इन अधिकारियों का हर तीन साल पर तबादला हो जाता था क्योंकि अंग्रेजों को ये डर था कि अगर ज्यादा दिन तक कोई अधिकारी एक जगह रह गया तो उसके स्थानीय लोगों से अच्छे सम्बन्ध हो जायेंगे और वो ड्यूटी उतनी तत्परता से नहीं कर पायेगा या उसके काम काज में ढीलापन आ जायेगा और वो ट्रान्सफर और पोस्टिंग का सिलसिला आज भी वैसे ही जारी है और हमारे यहाँ के कलक्टरों की जिंदगी इसी में कट जाती है। ये जो Collector होते थे उनका काम था Revenue, Tax, लगान और लुट के माल को Collect करना इसीलिए ये Collector कहलाये और जो Commissioner होते थे वो commission पर काम करते थे उनकी कोई तनख्वाह तय नहीं होती थी और वो जो लुटते थे उसी के आधार पर उनका कमीशन होता था। ये मजाक की बात या बनावटी कहानी नहीं है ये सच्चाई है इसलिए ये दोनों पदाधिकारी जम के लूटपाट और अत्याचार मचाते थे उस समय। अब इस कानून का नाम Indian Civil Services Act से बदल कर Indian Civil Administrative Act हो गया है, 64 सालों में बस इतना ही बदलाव हुआ है।

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? ALL - PART

9 अगस्त 2012

मुग़ल कालीन किले जैसा है ''कांडा'' का आवास,................


house like fort जूतों की दुकान से एमडीएलआर एयरलाइंस के मालिक बनने का सफर तय करने वाले हरियाणा के पूर्व गृह राज्यमंत्री गोपाल काडा की तरक्की की दास्तां ख्वाब सरीखी है। एक साल के भीतर ही कई अरब रुपये के ऐसे पांच प्रोजेक्ट बनाए गए हैं, जिन्हे अंजाम तक पहुंचाने का बूता सिर्फ किसी धन-कुबेर में ही हो सकता है। ढाई एकड़ में बना कांडा महल मुगलकालीन किले सरीखा है। पत्थरों के महल के करीब 25 फुट ऊंचे मुख्य द्वार की कीमत ही लाखों में बताई जा रही है।
तीन-चार साल से बन रहा महल पिछले साल बनकर तैयार हुआ। गृह प्रवेश गत दिसंबर में हुआ था। महल के भीतर हेलीपैड के अलावा अत्याधुनिक जिम, लॉन टेनिस ग्राउड और अस्तबल आदि है। काडा महल के फर्नीचर के बारे में शहर में आम चर्चा है कि इन पर महगी धातु जड़ी गई है। गीतिका शर्मा खुदकुशी मामले में कांडा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कई प्रोजेक्ट का काम रुक गया है। इसमें मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल और सात मंजिला थ्री स्टार होटल शामिल है।

भारत ने किया अग्नि 2 का एक और सफल परीक्षण


agni 2 test fired succesfullyओड़िशा के व्हीलर द्वीप से गुरुवार सुबह 8.45 मिनट पर अग्नि 2 की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया गया। मध्यम दूरी की इस मिसाइल कि रेंज 2000 किमी है। जमीन से जमीन पर वार करने वाली यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है। इस टू स्टेज मिसाइल में मार्गदर्शन के लिए अत्याधुनिक यंत्र लगाए गए हैं, यहीं नहीं मिसाइल में दिशा नियंत्रण करने के लिए भी कई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] ने मिसाइल का प्रक्षेपण किया है। गौरतलब है कि डीआरडीओ ने वर्ष 1999 में पहली बार इसका प्रक्षेपण किया था उसके बाद कई बार मिसाइल का प्रक्षेपण किया जा चुका है।

7 अगस्त 2012

साथियों, व्यवस्था परिवर्तन क्यो जरूरी है ? PART -4

Indian Police Act* - 1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया। 1857 के पहले अंग्रेजों की कोई पुलिस नहीं थी इस देश में | 
लेकिन 1857 में जो विद्रोह हुआ, उससे डरकर उन्होंने ये कानून बनाया ताकि ऐसे किसी विद्रोह/क्रांति को दबाया जा सके। अंग्रेजों ने इसे बनाया था भारतीयों का दमन और अत्याचार करने के लिए। उस पुलिस को विशेष अधिकार दिया गया। पुलिस को एक डंडा थमा दिया गया और ये अधिकार दे दिया गया कि अगर कहीं 5 से ज्यादा लोग हों तो वो डंडा चला सकता है, यानि लाठी चार्ज कर सकता है और वो भी बिना पूछे और बिना बताये, और पुलिस को तो Right to Offence है लेकिन आम आदमी को Right to Defense नहीं है। आपने अपने बचाव के लिए उसके डंडे को पकड़ा तो भी आपको सजा हो सकती है, क्योंकि आपने उसके ड्यूटी को पूरा करने में व्यवधान पहुँचाया है और आप उसका कुछ नहीं कर सकते।
 इसी कानून का फायदा उठाकर "लाला लाजपत राय" पर लाठियां चलायी गयी थी, और लाला जी की मृत्यु हो गयी थी और लाठी चलाने वाले सांडर्स का क्या हुआ था ? कुछ नहीं, क्योंकि वो अपनी ड्यूटी कर रहा था और जब सांडर्स को कोई सजा नहीं हुई तो लालाजी के मौत का बदला भगत सिंह ने सांडर्स को गोली मारकर लिया था। वही दमन और अत्याचार वाला कानून "इंडियन पुलिस एक्ट" आज भी इस देश में बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले चल रहा है, और बेचारे पुलिस की हालत देखिये कि ये 24 घंटे के कर्मचारी हैं उतने ही तनख्वाह में, तनख्वाह मिलती है 8 घंटे की, और ड्यूटी रहती है 24 घंटे की और जेल मैनुअल के अनुसार आपको पुरे कपडे उतारने पड़ेंगे आपकी बॉडी मार्क दिखाने के लिए, भले ही आपका बॉडी मार्क आपके चेहरे पर क्यों न हो। और जेल के कैदियों को अल्युमिनियम के बर्तन में खाना दिया जाता था, ताकि वो जल्दी मरे, वो अल्युमिनियम के बर्तन में खाना देना आज भी जारी हैं हमारे जेलों में, क्योंकि वो अंग्रेजों के इस कानून में है। जारी .......

6 अगस्त 2012

दो सर वाले बच्चे का जन्म, too head child born in India.........


new born has one neck and two facesकुदरत के करिश्मे का एक जीता-जागता नमूना शनिवार को जोनपुर जिले के आशीर्वाद हॉस्पिटल में दिखा। यहा शिवापार निवासी तिलकधारी यादव की पत्नी किरन यादव ने एक ऐसी बच्ची को जन्म दिया जिसका धड़ तो एक है लेकिन चेहरे दो। वह भी पूर्ण विकसित। वह दोनों चेहरों से रो रही है और दूध भी पी ले रही है। इस तरह की अद्भुत बच्ची भले ही चिकित्सकों समेत सभी के लिए पहेली बनी है। लेकिन, परिजन खासे परेशान हैं। उन गरीब लोगों के लिए तो यह कुदरत का मजाक बनकर रह गया है।
ऑपरेशन के जरिए बच्ची को सकुशल पैदा कराने में सफल अस्पताल की डॉ. अंजू ने कहा कि कंजनाइटर एबनॉर्मिलिटी के चलते एक लाख में ऐसा एक केस सामने आता है। इसमें हार्मोस के कारण बच्चे का विकास असामान्य ढंग से होता है। नवजात बच्ची के भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि यदि इसका समुचित ढंग से विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में इलाज हो तो ऑपरेशन से बच्ची को स्वस्थ किया जा सकता है। बहरहाल कुदरत का यह करिश्मा चर्चाओं में है।

3 अगस्त 2012

चीन ने मुस्लिमो के रोजा रखने पर रोक लगायी, ''शिनजियांग'' में रोजा नहीं रखने का आदेश...........


Roja ban in  Xinjiang localitiesचीन ने उत्तर पश्चिमी शिनजियांग स्वायत्तशासी क्षेत्र में रमजान के दौरान मुस्लिम अधिकारियों और छात्रों के रोजा रखने पर पाबंदी लगा दी है। नए दिशा निर्देश कई सरकारी वेबसाइटों पर जारी किए गए हैं। इसमें कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से रमजान के पवित्र महीने के दौरान मुसलमानों के रोजा रखने और मस्जिद जाने पर रोक लगाने के लिए कहा गया है। शिनजियांग में करीब 90 लाख ''उइगुर'' लोग रहते हैं। तुर्की भाषा बोलने वाले ये लोग मुख्य रूप से इस्लाम धर्म मानते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के ये लोग चीन के नेताओं पर धार्मिक और राजनीतिक उत्पीड़न के आरोप लगाते रहे हैं। चीन इन आरोपों से इन्कार करता रहा है। शिनजियांग में अक्सर जातीयहिंसा भड़कती रहती है। चीन की सरकार हजारों उइगुर अधिकारियों की मदद से प्रांत का शासन चलाती है।
शिनजियांग की सरकारी वेबसाइट पर पार्टी नेताओं से गांव के स्थानीय नेताओं के लिए खाना ले जाने के लिए कहा गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग रमजान के दौरान रोजा नहीं रख रहे हैं और खाना खा रहे हैं। रमजान में धार्मिक गतिविधियों को रोकने के आदेश स्थानीय प्रशासन की वेबसाइटों पर भी जारी किए गए हैं। स्कूल और कॉलेज प्रशासन से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि रमजान के दौरान छात्र मस्जिद न जाएं ।

81 करोड़ भारतीयों का आधार & पासपोर्ट डाटा बिक्री के लिए उपलब्ध

  अख़बार  बिजनेस स्टैंडर्ड  की रिपोर्ट के मुताबिक़, 81 करोड़ से ज़्यादा भारतीयों की निजी जानकारी डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध है. अख़बा...