18 दिसंबर 2013

अमेरिका को सुधारने का 100% भारतीय तरीका ये हैं ............

भारत का अमेरिका के सामने यूँ "अचानक" जोश में आने के दो मुख्य कारण हैं... पहला कारण तो सभी जानते हैं कि यह "मोदी इफेक्ट" है, नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले छह माह में दिए गए आक्रामक भाषणों की वजह से राहुल गांधी को उनके समक्ष खड़ा करने की जल्दबाजी में काँग्रेस अगले छह माह ऐसे "दिखावटी देशप्रेम कर्म" करने का पूरा प्रयास करती रहेगी... कि कहीं लोकसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर मोदी को बढ़त लेने का मौका न मिल जाए...
दूसरा कारण अधिक मजबूत है, जिस पर "चैनलीय विद्वान" बात करने से और "लेखकीय विद्वान" लिखने से बच रहे हैं... आज तक जिस भारत सरकार का स्वाभिमान पडोसी पाकिस्तान द्वारा सैनिकों के सिर काटने पर नहीं जागा, बांग्लादेश द्वारा जवानों की आँखे फोड़ कर लाशो को डंडे से लटकाने पर नहीं जागा, चीन द्वारा सीमा पर लगातार घुसपैठ पर नहीं जागा, अमेरिका द्वारा ही देश के रक्षा मंत्री को नंगा करके तलाशी करने पर नहीं जागा, तीन बार निर्वाचित गुजरात के मुख्यमंत्री को वीजा नकारने पर नहीं जागा... वह आखिर अब कैसे जागा?? 
          इसलिए, कि "असल में देवयानी खोब्रागडे "दलित" हैं."देवयानी के पिता उत्तम खोब्रागड़े आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में संदिग्धों की सूची में हैं...| मजेदार है ना... एक IAS अफसर की पुत्री को SC कोटे में IFS मिला, जो कि वास्तव में किसी गरीब दलित को मिलना चाहिए था... आदर्श सोसायटी में फ़्लैट मिला, जो कि वास्तव में किसी जवान की विधवा को मिलना चाहिए था... वह झूठ बोलकर अपनी नौकरानी को अमेरिका में रखे हुए थी...| परन्तु इस मुद्दे पर महाराष्ट्र में कहीं दलित राजनीति उफान पर न आ जाए, इससे पहले ही ठंडा पानी डालने की भद्दी कोशिश है... भारत सरकार ने जो कदम उठाए वह अच्छे हैं, अमेरिका को सबक सिखाना जरूरी है (जरूरी था), लेकिन यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था... पर सबसे बड़ा सवाल जो ह वो ये कि 
एक IFS अफसर का सम्मान बड़ा है या संविधान के तहत तीन बार चुने हुए मुख्यमंत्री का??? आम चुनाव की पूर्व संध्या पर ये बात हजम नहीं हो सकती, लोगो को बेवकूफ बनाने का इससे अच्छा और तरीका नही मिला शायद सरकार को ?

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