थलसेनाध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) तेजिंदर सिंह के बीच जारी विवाद बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया. तेजिंदर सिंह ने सेना द्वारा रक्षा मंत्रालय के फोन की जासूसी करने में सेना प्रमुख की भूमिका की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है.
जनरल वी.के. सिंह ने पिछले दिनों लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह पर आरोप लगाया कि टाट्रा ट्रकों के एक सौदे को मंजूरी देने के लिए उन्होंने रिश्वत की पेशकश की थी.(उनके पास इसके पुख्ता सबूत भी हें) सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने न्यायालय से मांग की है कि वह सीबीआई को जनरल वी.के. सिंह के आवास की तलाशी लेने और उन सभी दस्तावेजों को जब्त करने के निर्देश दे जो उनके जीवन और आजादी को खतरे में डाल सकते हैं.तेजिंदर सिंह अगर ईमानदार हें,तो उन्हें इतना घबराने की जरुरत क्या हें,और उन्हें किस चीज का डर हें ?जो वह वि.के.सिंह के घर की तलाशी की बात कर रहे हें,?और सी.बी.आई.तो वेसे भी केंद्र के हाथो की कठपुतली हें,ये वो ही बात हुयी की ''बिल्ली को दूध की रखवाली'' सोपने जेसी, और वेसे उन्होंने कुछ गलत नही किया रक्षा मंत्रालय के फोन टेप कर के,उन्होंने तो आम जनता को रूबरू करवाया की सेना की इस समय क्या हालत हें इन नेताओ की वजह से,और टेप मामले में तो उन्हें कुछ कहने की जरुरत ही नही हे,देश की सुरक्षा के लिए जो जरुरी हो वो सेना करे रक्षा विभाग क्या प्रधान मंत्री रास्ट्रपति के भी फोन टेप करे,
तेजिंदर सिंह का आरोप हैकि जनरल वी.के. सिंह ने नक्सल प्रभावित इलाकों में अभियान चलाने के लिए सरकार द्वारा की गई सेना की मांग पर नक्सली समस्या के बारे में राजनीतिक बयान देकर सेवा नियमों का उल्लंघन किया था.ये तो सभी जानते हें की इन नक्सलियों को कोन पाल रहा हें,और इन हालातो के लिए कोन जिम्मेदार हें,केंद्र जब चाहे नक्सलियों का सफाया कर दे,
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