10 अप्रैल 2012

जरदारी की सिफारिश से हुए रिहा,होगी पाक वापसी खूनी डा.चिश्ती की


भारत की सुप्रीम कोर्ट  ने 1992 के हत्या के एक मामले में राजस्थान के अजमेर की सेन्ट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 80 वर्षीय बीमार पाकिस्तानी सूक्ष्मजीव विज्ञानी मोहम्मद खलील चिश्ती को कल मानवीय आधार पर जमानत दे दी.अब देखना ये हे की सरबजीत मामले में पाक सरकार क्या फेसला लेती हे,
कोर्ट ने यह राहत उनकी अधिक उम्र तथा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए दी कि वह हत्या का मामला दर्ज होने के बाद गत 20 वर्ष से जेल में बंद हैं. हत्या का मामला तब का है जब वह अपनी मां को देखने अजमेर की यात्रा पर आये थे.तभी उनका विवाद हो गया और झगड़े में एक पड़ोसी की हत्या हो गई और उनका भतीजा घायल हो गया.

चिश्ती का जन्म अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह की देखरेख करने वाले एक समृद्ध परिवार में हुआ था. विभाजन के समय चिश्ती पाकिस्तान मे पढ़ाई कर रहे थे और उन्होंने उसी देश का नागरिक बनने का फैसला किया.कोर्ट ने शर्तों और अजमेर की फास्ट ट्रैक अदालत की संतुष्टि के आधार पर चिश्ती को जेल से रिहा करने का निर्देश देते हुए कहा कि हम इस बात से संतुष्ट हैं कि जमानत पर रिहा किये जाने का मामला बनता है. न्यायालय इसके साथ ही चिश्ती के कराची वापस जाने देने के अनुरोध पर भी सुनवायी करने पर सहमत हुआ और उनसे कहा कि वह इसके लिए अलग याचिका दायर करें.चिश्ती को अगले आदेश तक अजमेर छोड़कर नहीं जाने को कहा.चिश्ती को जमानत पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की भारत यात्रा के दौरान मिली है.
हत्या के इस मामले में 18 वर्ष चली सुनवायी के बाद अजमेर की सत्र अदालत ने अंतत: चिश्ती को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनायी. सत्र अदालत ने सुनवायी के दौरान चिश्ती को जमानत दे दी थी लेकिन उन्हें अजमेर नहीं छोड़ने का आदेश दिया गया था. दोषी साबित होने पर सजा काटने के लिए उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया. अजमेर में वर्ष 1992 के हत्या मामले में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार होने के बाद सत्र अदालत ने उन्हें कुछ दिन बाद ही जमानत दे दी थी लेकिन उसने उन्हें अजमेर छोड़कर नहीं जाने का आदेश दिया था.चिश्ती का मामला उस समय प्रकाश में आया था, जब उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्केंडय काटजू ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि पाकिस्तानी नागरिक को मानवीय आधार पर माफ कर दिया जाए. चिश्ती कराची मेडिकल कालेज में विषाणु विज्ञान के प्रोफेसर थे तथा उन्होंने एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है.भारत सरकार ने तो पहल कर दी हे देखना अब ये हे की हर बार पीठ में छुरा गोपने वाली पाक सरकार इसके बदले में कोन सी नई सोगात देती हे,....

कोई टिप्पणी नहीं:

81 करोड़ भारतीयों का आधार & पासपोर्ट डाटा बिक्री के लिए उपलब्ध

  अख़बार  बिजनेस स्टैंडर्ड  की रिपोर्ट के मुताबिक़, 81 करोड़ से ज़्यादा भारतीयों की निजी जानकारी डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध है. अख़बा...