भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण [ट्राई] की सिफारिशों से टेलीकॉम कंपनियों के होश उड़े हुए हैं। देश की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी वोडाफोन ने साफ कह दिया है कि इन सिफारिशों को लागू किया गया तो उसे काल दरें बढ़ानी पड़ेंगी। नॉर्वे की टेलीनॉर ने न सिर्फ भारत से अपने कारोबार को समेटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, बल्कि ट्राइ की सिफारिशों की वजह से उसने आगे नीलामी प्रक्रिया में भी हिस्सा नहीं लेने की बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत से अपना निवेश वापस खींच चुकी बहरीन टेलीकॉम ने भी कहा है कि वह इन सिफारिशों के मद्देनजर फिर से भारत के दूरसंचार क्षेत्र में निवेश नहीं करेगी। ट्राई की सिफारिशों पर वोडाफोन की तरफ से एक पत्र संचार मंत्री कपिल सिब्बल को भेजा गया है। इसमें दूरसंचार कंपनी ने कहा है कि नए नियमों के मुताबिक नए सिरे से स्पेक्ट्रम आवंटन किए जाने से उस पर 10 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यह अतिरिक्त बोझ अंतत: कंपनी को ग्राहकों पर ज्यादा काल दरों के तौर पर डालना पड़ेगा। वोडाफोन के रेजीडेंट डायरेक्टर टीवी रामचंद्रन की तरफ से लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि कंपनी इस राशि का इस्तेमाल 50 हजार गांवों को बेहतर संचार सुविधा उपलब्ध कराने पर खर्च कर सकती है। कंपनी ने हर कंपनी की तरफ से अलग-अलग टावर लगाने की सिफारिश पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे ज्यादा डीजल की खपत होगी, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा सरकार की होगी।पर कंपनियों ने यह बताया की जो विकिरण इन टावरो से फेल रहा हें,उस से पर्यावरण को नुकसान नही हो रहा हें, ?...............
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