24 मई 2012

आखिर चीन के दबाव में, दक्षिण चीन सागर से हाथ खींचे भारत ने-india under pressure by china , come to back foot for north china sea.......... .....


 वियतनाम के साथ समझौते के तहत दक्षिण चीन सागर में तेल की खोज कर रहे भारत ने ड्रैगन ( चीन ) से टकराव टालने के लिए अपने कदम वापस खींच लिए हैं। चीन के सरकारी मीडिया ने कहा है कि ओएनजीसी विदेश ने उन स्थानों पर ड्रिलिंग रोक दी है, जिन पर चीन अपना हक जताता आ रहा है। हालांकि, भारत सरकार ने अभी इस मुद्दे पर रुख साफ नहीं किया।
भारत-वियतनाम के बीच 13 अक्टूबर 2011 को समझौता हुआ था। इसके तहत दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों को तेल की खोज करनी थी, लेकिन चीन ने इसका कड़ा प्रतिरोध किया । हालांकि, शुरुआत में भारत ने चीन को तेवर दिखाए, लेकिन अब वह रुख बदलता दिख रहा है। कुछ रिपोर्टो में यह दावा भी किया जा रहा है कि दक्षिण चीन सागर में भारत को जितनी मात्रा में तेल मिलने की उम्मीद थी, वहां उतना तेल नहीं था। अब ये भारत सरकार वहा से निकलने के लिए बहाना बना रही हें या और कोई बात हें वेसे ये सब चीन के दबाव का नतीजा दिख रहा हें, कुछ समय पहले चीन ने ब्रह्म पुत्र नदी का बहाव रोक दिया था, देखे - http://oneindian009.blogspot.in/2012/05/blog-post_326.html
बहरहाल, चीनी मीडिया ने भारत के इस कदम का स्वागत किया है। चीन ने कहा की 'चीन और फिलीपींस के बीच तनाव के मौजूदा स्थिति में भारत का दक्षिण चीन सागर में न होना क्षेत्रीय सुरक्षा और दीर्घकालिक भारत-चीन संबंध दोनों के लिए अच्छा रहेगा।' अखबार ने दावा किया कि ओएनजीसी विदेश ने तकनीकी व्यावसायिक आधार पर वियतनाम के ब्लॉक नंबर 128 से हाथ खींच लिया है।
दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर चीन का हमेशा से ही कड़ा रुख रहा है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि भारत ने यह निर्णय चीन के दबाव में लिया है या नहीं ? सच क्या हे ? पता नही .........

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