14 अप्रैल 2012

स्कूल से लेकर मंदिर तक और तालाब, कुए की मुंडेर से लेकर शमशान की चिता तक

आज डा.भीम राव आंबेडकर की 123 जयंती हे,डा.भीम राव आंबेडकर जिन्होंने बचपन से ही दलितों पर हो रहे अत्याचारों को देखा और साथ ही खुद सहा,स्कूल से लेकर मंदिर तक और तालाब, कुए की मुंडेर से लेकर शमशान की चिता तक हर जगह दलित होना किसी अभिशाप से कम नही था,पर विकट हालातो में भी उन्होंने होसला नही खोया,और अपनी पढाई के साथ ही देश की राजनीति में भी अपनी सफलता का परचम फहराया, उन्होंने ये साबित किया की हर इन्सान एक समान हे,सब को समान अवसर मिले,और किसी को जातिगत आधार  से नही देखा जाये,हर इन्सान अपने कर्मो से ही छोटा बड़ा होता हे,अपने धर्मो से नही,फिर भी आज चारो तरफ देश में जातिगत राजनीति अपने चरम पर हे,देश को गर्त में यही लोग पहुचा रहे हे,जो आज देश आजाद होने के इतने सालो बाद भी आरक्षण की मांग करते हे वो भी जातिगत ! और सरकार भी अपनी वोटो की राजनीति के लिए और सत्ता में बने रहने के लिए इन धर्म के ठेकेदारों के तलुवे चाटने में कोई कसर नही छोड़ रही हे,आरक्षण के नाम पर मारकाट,लुट,दंगे-फसाद हो रहे हे हड़ताले हो रही हे,
जब देश को अंग्रेजो से आजादी दिलाने के लिए हमने ये रास्ता नही चुना तो आज आरक्षण के लिए हम अपने ही हिन्दुस्तानी भाइयो का का खून क्यों बहा रहे हे,अपने देश को क्यों नुक्सान पहुचा रहे हे,आज डा.भीम राव आंबेडकर की 123 जयंती पर में यही कहना चाहूँगा की देश से ये जातिगत आरक्षण समाप्त किये जाने की मुहीम छेड़ी जाये,सरकार को आरक्षण देना हे तो आर्थिक आधार पे दे,जो गरीब हे उन्हें ही दे,जिस से डा.भीम राव आंबेडकर के सर्वधर्म समान के उस सपने को पूरा किया जा सके जो उन्होंने सविधान की रचना करते हुए देखा था......जय हिंद 

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