13 अप्रैल 2012

निकलने के एक मात्र रास्ते पर मौत उगलती अंग्रेजी बंदूके ..


एक तरफ ऊँची दीवारे जिनपे चढना नामुमकिन दूसरी तरफ बाग से निकलने के एक मात्र रास्ते पर मौत उगलती अंग्रेजी बंदूके ..
जलियाँवाला बाग़ नामक स्थान पर 13 अप्रैल 1919 को आज के ही दिन सेकड़ो लोगो को गोलियों से भुन दिया गया,सिर्फ इस लिए क्यों की वो अपने अधिकारों की बात कर रहे थे,वो अपनी अपने मुल्क की आज़ादी की बात कर रहे थे... मौत उगलती उन अंग्रेजी बन्दूको ने न बच्चो को बख्शा न बुढो को ना ओरतो को सिर्फ और सिर्फ चारो तरफ मौत का खौफनाक मंजर था,और था बिखरा हुआ उन हिन्दुस्तानियों का खून,जो आजाद होना चाहते थे,अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें उनकी जिन्दगी से ही आजादी दे डाली,आईये आप और हमारी इस रोज़मर्रा की आपाधापी भरी ज़िन्दगी में से मैं कुछ पल निकाले... जलियाँवाला बाग़ के अमर शहीदों के लिए ... जिन को आजतक हमारी सरकार ने शहीद का दर्जा भी नहीं दिया जब कि देश को आजाद हुए भी अब 93 साल हो जायेंगे !!! जलियाँवाला बाग़ के सभी अमर शहीदों को हमारा शत शत नमन !! जय हिंद....

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