15 अप्रैल 2012

अब होगा मुश्किल गरीब के हिस्से का अनाज दबाना........बिहार में विकास की राह में एक और कड़ी

बिहार में अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अनाज अब कार्डधारकों के दरवाजे तक पहुंचाया जाएगा. इस तरह बिहार ऐसा पहला राज्य होगा, जहां गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले करीब 1.45 करोड़ परिवारों के घर राशन पहुंचाया जाएगा.बिहार में वर्ष 2007 में सरकार ने कूपन योजना प्रारम्भ की थी. इसके तहत पहले कूपन दिया जाता था और फिर कार्डधारकों को अनाज दिया जाता था. इस व्यवस्था में भी अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद कूपन में पिछले वर्ष बार कोड डाला गया,लेकिन अब सरकार ने पारम्परिक और आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के जरिए राशन पहुंचाने का मन बनाया है.
राज्य में अब गोदामों से राशन उठाने के बाद वाहनों में लाउडस्पीकर लगाकर पूरे क्षेत्र में घोषणा की जाएगी कि राशन आ गया है. इसके बाद राशन को घर-घर पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी तथा मिलने वाले अनाज की मात्रा भी घोषित की जाएगी. इससे गड़बड़ी होने की आशंका कम रहेगी.पूर्व में शिकायत मिलती थी कि दुकानदार कार्डधारकों को कह देते थे कि महीने का अनाज आया ही नहीं और अनाज को विपणन पदाधिकारियों की मिलीभगत से खुले बाजार में बेच दिया जाता था. किसी महीने में थोड़ा-बहुत अनाज बांट भी दिया जाता था.
राज्य सतर्कता अन्वेषण ब्यूरो ने राज्य के कई जिलों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनियमितताओं का पता लगाया है.विभाग का मानना है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों 45 प्रतिशत अनाज खुले बाजार में पहुंच जाता है.
बिहार में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले प्रत्येक परिवार को जहां प्रति महीने 10 किलोग्राम गेहूं और 15 किलोग्राम चावल दिया जाता है,वहीं अंत्योदय योजना के तहत प्रति परिवार को 21 किलो चावल और 14 किलो गेहूं दिया जाता है. राज्य में अंत्योदय परिवारों की संख्या करीब 25,000 है.सरकार का मानना है कि जन वितरण में गड़बड़ी को रोकने में यह प्रयोग कारगर साबित होगा..अन्य राज्यों को भी इस  से सबक लेकर अपने यहा भी इसी तरह की वयवस्था करवानी चाहिए,तभी देश में गरीबी मिटेगी और जरुरतमंदों के लिए चलायी योजनाओ के सार्थकता होगी..................

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